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Achinta Sheuli: पिता के निधन ने बढ़ाई मुश्किलें, कम डाइट मिलने से हुए बीमार, अब गोल्ड जीतकर रचा इतिहास

Achinta Sheuli: नई दिल्ली। बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स के तीसरे दिन भारत की झोली में वेटलिफ्टिंग से दो गोल्ड मेडल आए। जिसमें एक मेडल 20 साल के अचिंता शेउली ने जीता है। उन्होंने 73 किलोग्राम कैटेगरी में रिकॉर्ड 313 भार उठाकर इतिहास रचा है। सबसे बड़ी बात ये रही कि अचिंता ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी से […]

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Achinta Sheuli: पिता के निधन ने बढ़ाई मुश्किलें, कम डाइट मिलने से हुए बीमार, अब गोल्ड जीतकर रचा इतिहास
  • August 1, 2022 1:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

Achinta Sheuli:

नई दिल्ली। बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स के तीसरे दिन भारत की झोली में वेटलिफ्टिंग से दो गोल्ड मेडल आए। जिसमें एक मेडल 20 साल के अचिंता शेउली ने जीता है। उन्होंने 73 किलोग्राम कैटेगरी में रिकॉर्ड 313 भार उठाकर इतिहास रचा है। सबसे बड़ी बात ये रही कि अचिंता ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी से करीब 10 किलोग्राम ज्यादा भार उठाया और सोने का तमगा हासिल किया। हालांकि यहां तक सफर अंचिता शेउली के लिए आसान नहीं था। उन्होंने कई मुश्किलों का सामना कर ये तक सफर तय किया है।

वेटलिफ्टर जैसा नहीं था अंचिता

अंचिता शेउली के 73 किलोग्राम कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीतने पर उनके बचपन के कोच ने एक अग्रेंजी अखबार से बात करते हुए कहा कि जब मैंने पहली बार अंचिता को देखा था तो वो बिल्कुल भी वेटलिफ्टर जैसा नहीं लग रहा था। लेकिन उसके अंदर वो स्पीड थी जो कि एक एथलीट में होनी चाहिए।

पिता की मौत ने बढ़ाई मुश्किल

अंचिता के कोच ने बताया कि उसने 2013 में वेटलिफ्टिंग के लिए तैयारी शुरू की थी। लेकिन उसी साल अंचिता के पिता के निधन की वजह से उनके परिवार की मुश्किले बढ़ गई। हालांकि अंचिता के भाई ने उनका पूरा सहयोग किया। परिवार की हालात खराब होने की वजह से कई बार अंचिता को प्रोपर डाइट नहीं मिलती थी। जिसकी वजह से वो बीमार हो जाया करते थे।

मां और भाई ने कही ये बात

वेटलिफ्टर अचिंता शुली के कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने पर उनकी मां पूर्णिमा शूली ने कहा- मैं बहुत खुश हूं और सभी उसके प्रदर्शन देखकर बहुत खुश हुए हैं। अंचिता के भाई ने कहा कि 2020 में राज्य सरकार ने उसे एक खेल रत्न दिया, तब किसी को पता नहीं था कि वो प.बंगाल से था यहां तक कि बंगाल के खेल मंत्री को भी नहीं पता था, किसी ने कोई समर्थन नहीं दिया जबकि हम चाहते हैं कि सरकार हमें समर्थन दे क्योंकि इसमें बहुत पैसा लगता है।

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