नहीं रहे भारत के पहले ओलंपिक तैराक शमशेर खान, खाने के लिए सेना से लिया था 300 रुपए कर्ज
भारत के पहले ओलंपिक तैराक शमशेर खान (87) का रविवार को आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में निधन हो गया है. वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. शमशेर खान भारत के पहले ऐसे तैराक थे जिन्होंने 1956 में मेलबर्न ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया था
October 16, 2017 8:15 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: भारत के पहले ओलंपिक तैराक शमशेर खान (87) का रविवार को आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में निधन हो गया है. वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. शमशेर खान भारत के पहले ऐसे तैराक थे जिन्होंने 1956 में मेलबर्न ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया था. उन्होंने 200 मीटर बटरफ्लाई कैटेगरी में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाकर मेलबर्न ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया था. ओलंपिक में शमेशर खान ने 5वां स्लॉट पूरा कर लिया था. पिछले छह दशकों में बुनियादी ढांचे और कोचिंग की सुविधाओं में सुधार के बाद भी कोई भारतीय अभी तक पांचवें स्थान तक पहुंचने में सफल नहीं हो पाया है. शमशेर खान तैराकी के बाद सेना में भर्ती हुए. लगभग 24 साल तक नौकरी करने के बाद शमशेर खान सूबेदार के रैंक से रिटायर हुए. बता दें कि शमशेर खान पूरी तरह से गरीबी की जिंदगी जिए, उनके अंत तक भारतीय सेना की ओर से मिल रही पेंशन उनके परिवार के की एक मात्र आय का स्रोत था. खान अपनी मृत्यु तक एक उपेक्षित बने रहे.
वह अपने आखिरी दिनों में गरीबी से लड़ते रहे और अपने इलाज के खर्चों को पूरा करने के लिए उन्हें पेंशन पर भरोसा करना पड़ा. जबकि खान के बड़े बड़े साजिद वली खान अभी भी भारतीय सेना में हैं, लेकिन शमशेर खान अपने छोटे बेट अली खान के साथ मूल स्थान पर रह रहे थे. शमशेर खान ने अपने करियर में कई रिकॉर्ड बनाए. उन्होंने 1995 में बंगलोर में आयोजित प्रतियोगिता में 200 मीटर बटरफ्लाई का नेशनल रिकॉर्ड बनाया है. शमशेर खान ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वे ओलंपिक के लिए मेलबर्न गेए थे तो सरकार ने उनका केवल हवाई किराए का खर्चा उठाया था, जबकि खान को ओलंपिक के दौरान अपने भोजन और अन्य लागतों को पूरा करने लिए सेना से 300 रुपए उधार के रूप में लेना पड़ा था. लेकिन जब उनकी सैलरी केवल 56 रुपए आई तो पता चला कि उनके खाते से उधार के 300 रुपए काट लिए गए हैं.
खान 1946 में सेना में भर्ती हुए थे और साल 1962 में चीन के खिलाफ और साल 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ हुए युद्ध का वे हिस्सा भी रहे. खान ने खुद बताया था कि वे गांव में रहते हुए भैंसों के साथ तालाब में तैरना शुरू किया था और सेना में भर्ती होने के बाद उन्हें तैराकी की ट्रेनिंग मिली. दामाद रिजवान खान ने कहा था कि मेरे ससुर ने स्थानीय लोगों से किसी भी वित्तिय सहायता लेने से इनकार कर दिया था, उन्होंने कहा था कि वे भारतीय सेना के जवान हैं और वे एक भिखारी की तरह मरना नहीं चाहते हैं.