टीम की नाकामी तब उजागर हुई जब कोई भी भारतीय बल्लेबाज अर्धशतक भी नहीं बना सका.एडिलेड टेस्ट की हार ने भारतीय टीम की एक और समस्या को उजागर कर दिया है कि गेंदबाजी में जसप्रीत बुमराह अकेले पूरी टीम को आगे नहीं बढ़ा सकते.
नई दिल्ली: एडिलेड टेस्ट में भारत को 10 विकेट से करारी हार का सामना करना पड़ा. इस पिंक बॉल टेस्ट मैच में टीम इंडिया बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई. टीम की नाकामी तब उजागर हुई जब कोई भी भारतीय बल्लेबाज अर्धशतक भी नहीं बना सका.एडिलेड टेस्ट की हार ने भारतीय टीम की एक और समस्या को उजागर कर दिया है कि गेंदबाजी में जसप्रीत बुमराह अकेले पूरी टीम को आगे नहीं बढ़ा सकते. इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आइए जानते हैं कि दूसरे टेस्ट में भारत की हार के 5 दोषी कौन थे?
विराट कोहली को ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर रन बनाना बहुत पसंद है. पर्थ टेस्ट की दूसरी पारी में जैसे ही उन्होंने शतक लगाया, एडिलेड में उनकी टीम से कुछ बड़ा होने की उम्मीदें बढ़ गई थीं. लेकिन असल में हुआ ये कि कोहली पिंक बॉल टेस्ट मैच की दोनों पारियों में क्रमश: 7 और 11 रन ही बना सके. बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के इतिहास में 2,000 से ज्यादा रनों के आंकड़े के कारण सभी को कोहली से उम्मीदें थीं, लेकिन उनकी असफलता का नतीजा यह हुआ कि मध्यक्रम की बल्लेबाजी बुरी तरह चरमरा गई.
ये बात किसी से छुपी नहीं है कि रोहित शर्मा ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर अच्छा नहीं खेलते हैं. वह निजी कारणों से मौजूदा सीरीज का पहला टेस्ट मैच नहीं खेल सके थे. एडिलेड टेस्ट में उनकी वापसी हुई, लेकिन इससे टीम पर कोई फर्क नहीं पड़ा.केएल राहुल की फॉर्म को देखते हुए रोहित ने उनका स्थान छोड़कर छठे नंबर पर बल्लेबाजी करने का फैसला किया था. यह प्रयोग पूरी तरह विफल साबित हुआ क्योंकि वह दो पारियों में केवल 3 और 6 रन ही बना सके। आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया में रोहित का औसत 28 से भी कम है.
इस सीरीज से हर्षित राणा ने अपना इंटरनेशनल डेब्यू किया है. वह तीसरे मुख्य तेज गेंदबाज की भूमिका निभाने में पूरी तरह से असफल रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी के दौरान हर्षित ही एकमात्र गेंदबाज रहे जो कोई विकेट नहीं ले सके. भारतीय टीम की हार के लिए हर्षित भी जिम्मेदार थे क्योंकि उन्होंने 5.40 की इकोनॉमी रेट से रन दिए थे, जो एक टेस्ट मैच में बहुत ज्यादा है. दरअसल सच तो ये है कि हर्षित तीसरे मुख्य तेज गेंदबाज की जगह नहीं भर पा रहे हैं. एडिलेड टेस्ट में वह एक भी विकेट नहीं ले सके.
रविचंद्रन अश्विन निस्संदेह दुनिया के महानतम गेंदबाजों में से एक हैं। लेकिन जब कोई खिलाड़ी फॉर्म में हो तो उसकी जगह लेना कितना मुश्किल हो सकता है ये बात भारतीय टीम मैनेजमेंट भी अच्छे से समझ गया होगा. सुंदर न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज के बाद से अच्छी फॉर्म में हैं, जहां उन्होंने 16 विकेट लेने के साथ-साथ 89 रन भी बनाए। पर्थ टेस्ट में उन्होंने बल्ले से 33 रन बनाए और कसी हुई गेंदबाजी से 2 विकेट भी लिए. उनकी जगह अश्विन न तो बल्ले से ज्यादा असरदार साबित हुए और न ही उनकी गेंदबाजी प्रभाव छोड़ सकी.
टीम इंडिया के ‘प्रिंस’ के नाम से मशहूर शुभमन गिल चोट के कारण पर्थ टेस्ट नहीं खेल सके. उन्होंने प्रधानमंत्री एकादश के खिलाफ अभ्यास मैच में अर्धशतक जड़कर संकेत दिया था कि वह अच्छी फॉर्म में हैं. लेकिन जब असल मैच में रन बनाने की बात आई तो गिल का बल्ला खामोश हो गया. दोनों पारियों में गिल को शुरुआत मिली, जिसमें उन्होंने क्रमश: 31 और 28 रन बनाए. पिच की उछाल और गति को समझकर इन रनों को बड़ी पारी में बदलने की जिम्मेदारी गिल की थी, लेकिन उनकी नाकामी भी टीम इंडिया की हार का कारण साबित हुई.
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