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द्रोणाचार्य अवॉर्ड रोशनलाल सहित रेलवे के कोचों की मेहनत रंग लाई: रेखा यादव

नई दिल्ली: रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड की महासचिव रेखा यादव ने रेल विभाग की ओर से कुश्ती के क्षेत्र में पहली बार किसी कोच को द्रोणाचार्य अवार्ड मिलने पर प्रसन्नता ज़ाहिर की. उन्होंने इस अवसर पर मौजूद रेलवे के पूर्व ओलिम्पियन ज्ञान सिंह, रोहतास और नरेश की सराहना करते हुए कहा कि उनके कोचों की कड़ी मेहनत ने रेलवे का काम आसान कर दिया है और उनका विभाग अपने खिलाड़ियों को हर सम्भव सहयोग देने के लिए हमेशा तैयार है.
30 साल तक कोच
रोशन लाल रेलवे के 30 साल तक कोच रहे और उनके मार्गदर्शन में रेलवे 25 साल तक राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में टीम खिताब जीतने में सफल रहा. इसके अलावा रोशन लाल भारतीय टीम के 20 साल तक कोच रहे और तत्कालीन फीला के विशिष्ट श्रेणी के रेफरी रहे. वह छह एशियाई खेलों, कैडेट, जूनियर और सीनियर सहित कुल आठ विश्व चैम्पियनशिप, दो ओलिम्पिक, दो कॉमनवेल्थ गेम्स और तीन कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप में बतौर कोच या रेफरी जुड़े रहे.
इस दौरान राजेंद्र सिंह और सतबीर दहिया ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीते जबकि सतपाल, करतार और राजेंद्र सिंह ने एशियाई खेलों में गोल्ड हासिल किये. रोशन लाल इन समय इंडियन स्टाइल रेसलिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महासचिव हैं. उन्हें पिछले दिनों उनके जीवन पर्यंत योगदान के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
अंतरराष्ट्रीय दंगल
इस अवसर पर पूर्व ओलिम्पियन ज्ञान सिंह, रोहतास, नरेश, राजीव तोमर और मौजूदा राष्ट्रीय टीम के चीफ कोच जगमंदर ने एक सुर से कहा कि रोशन लाल जी का कुश्ती में अहम योगदान रहा है और उन्होंने कुश्ती की दो पीड़ियों को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है.
वहीं इंडियन स्टाइल रेसलिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और पूर्व अंतरराष्ट्रीय पहलवान रामाश्रय यादव ने जहां मिट्टी की कुश्ती में भविष्य में कुछ क्रांतिकारी कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया, वहीं एक अन्य पूर्व अंतरराष्ट्रीय पहलवान पन्नेलाल यादव ने उत्तर प्रदेश की ओर से और शिवकुमार शर्मा ने जे एंड के की ओर से कुश्ती के लिए किये जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया.
शिवकुमार शर्मा ने कहा कि हर साल की तरह इस बार भी कटरा में अगले महीने अंतरराष्ट्रीय स्तर का दंगल आयोजित किया जाएगा, जिसमें यूक्रेन, इंग्लैंड और जार्जिया के पहलवान मुख्य आकर्षण रहेंगे. विशिष्ट श्रेणी के रेफरी महाराष्ट्र के बाला साहब लांडगे और रवींद्र कालिया ने भी रोशनलाल के साथ बिताये लम्हों को याद किया.
बढ़ गई है ज़िम्मेदारी
कार्यक्रम के अंत में रोशन लाल ने कहा कि पुरस्कार मिलने के बाद उन्हें ऐसा लगने लगा है कि अभी बहुत कुछ करना है. वह इंडियन स्टाइल कुश्ती को ज़िंदा रखने और उसे और पॉपुलर करने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास करते रहेंगे. उन्होंने कुश्ती प्रेमियों से मिले स्नेह के लिए उनकी सराहना की और भविष्य में जल्द ही एक बड़ी प्रतियोगिता आयोजित करने की इच्छा ज़ाहिर की.
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