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अभिनव बिंद्रा ने की केडी जाधव कुश्ती की घोषणा, संग्राम सिंह लड़ेंगे सबसे बड़ी कुश्ती

नई दिल्ली: व्यक्तिगत स्पर्धाओं में देश के इकलौते ओलिम्पिक गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा की देश के सबसे पहले ओलिम्पिक मेडलिस्ट खाशाबा जाधव की सराहना के साथ पहली केडी जाधव अंतरराष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप की भी घोषणा कर दी गई.यह आयोजन दिल्ली के तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में 15 सितम्बर को किया जाएगा.
अभिनव ने निचले स्तर पर खेलों को विकसित करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया. उन्होंने कहा कि खाशाबा जाधव शुरू से ही उनके लिए प्रेरक रहे हैं. उन्हें खेलों के आयोजन के साथ याद करना उन्हें सही मायने में श्रद्धांजलि होगी. पहलवान संग्राम सिंह ने कहा कि खाशाबा सच्चे अर्थों में देश के लीजेंड हैं. हम उनके नाम से आयोजित प्रतियोगिता में देश के युवा उभरते पहलवानों को एक मंच मुहैया करा रहे हैं. इससे न सिर्फ देश में खेलों का स्तर सुधारने में मदद मिलेगी बल्कि दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों से भी खूब प्रतिभाएं तैयार होंगी.
इन मुक़ाबलों के प्रायोजक क्राईटोयनबॉक्स के ओनर सुभाष जेवरिया ने कहा कि यह आयोजन देश में कुश्ती के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है. हम इस प्रतियोगिता के ज़रिये पहलवानों को एक मंच महैया करा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसका प्रसारण डीडी स्पोर्ट्स पर शाम 6 से 9 बजे तक किया जाएगा. इसके अलावा इसे 25 अन्य देशों में दिखाया जाएगा. उन्होंने कहा कि देश में खेलों के विकास में योगदान देने के लिए वह इस क्षेत्र में उतरे हैं और संग्राम सिंह फाउंडेशन से जुड़ना इस दिशा में उनका पहला बड़ा कदम है.
संग्राम सिंह फाउंडेशन के सीईओ कर्नल रवींद्र सिंह ने कहा कि 15 सितम्बर को शाम को युद्धिष्ठिर का मुक़ाबला लुभांशू से, शीरपाल का हिमांशु से, श्रवण का प्रतीक से और महिलाओं में महिलाओं में एकता का मुक़ाबला आकांक्षा से होगा जबकि मुख्य कुश्ती में संग्राम सिंह के सामने अमेरिका के केविन रैडफोर्ड जूनियर होंगे.  सभी मुक़ाबलों में तीन-तीन मिनट के छह राउंड होंगे और हर राउंड के बाद 45 सेकंड का मध्यांतर होगा.
इस कुश्ती में चितपट के आधार पर मुक़ाबलों का फैसला नहीं होगा जबकि नीचे रहने वाले पहलवान को अंकों की गणना के आधार पर मुक़ाबले में पराजित घोषित किया जाएगा। इसके अलावा 15 अंकों के अंतर पर कुश्ती को छुड़वा दिया जाएगा. 2006 के मेलबर्न कॉमनवेल्थ गेम्स के गोल्ड मेडलिस्ट बॉक्सर अखिल कुमार ने कहा कि जिस तरह विदेशों में दूसरे खेलों के लिए पागलपन है, वैसा भारत में नहीं है.
वहां के खेल प्रेमी अपने पसंदीदा खिलाड़ियों के नामों या चित्रों वाली टी शर्ट पहने दिखाई देते हैं जबकि भारत में दूसरे खेलों में शानदार प्रदर्शन करने वालों को भी काफी संख्या में लोग नहीं जानते. इन्हीं खेलों में ब्रॉन्ज़ जीतने वाले और पूर्व ओलिम्पियन जितेंद्र ने कहा कि खेल प्रतियोगिताओं के ज़रिये पुराने दिग्गजों का सम्मान देश का सम्मान है और इसके लिए वह संग्राम सिंह फाउंडेशन के इस कदम का स्वागत करते हैं.
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