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वर्ल्ड जूनियर कुश्तियों में निगाहें पूजा गहलोत और दीपक पूनिया पर

ताम्पेरे: फिनलैंड के शहर ताम्पेरे में मंगलवार से शुरू हो रही वर्ल्ड जूनियर कुश्ती प्रतियोगिता में भारत पिछले साल के सूनेपन को खत्म करने के इरादे से उतरेगा. 24 सदस्यों के दल में भारतीय उम्मीदें खासकर दीपक पूनिया और पूजा गहलोत पर टिकी हैं.
दीपक पूनिया 84 किलो के पहलवान हैं। वह न सिर्फ विश्व कैडेट चैम्पियन हैं बल्कि एशियाई जूनियर कुश्तियों का खिताब भी उनके नाम है. एशियाई कैडेट कुश्तियों में उन्हें सिल्वर मेडल हासिल हुआ था. वह छत्रसाल स्टेडियम के पहलवान हैं और अपने प्रदर्शन में लगातार सुधार कर रहे हैं. महिलाओं में पूजा गहलौत ने एशियाई जूनियर कुश्तियों में पिछले दिनों गोल्ड मेडल हासिल करके आगे के लिए उम्मीदें जगा दी हैं.
पिछले साल खाली हाथ
पिछले साल विश्व जूनियर कुश्तियां फ्रांस के शहर माकोन में हुई थीं लेकिन भारतीय दल उस प्रतियोगिता से खाली हाथ लौटा था. पुरुषों में विकास (66 किलो) और मंदीप (96 किलो) तथा महिलाओं में दिव्या तोमर (44 किलो), रेशमा माने (67 किलो) और पूजा देवी (72 किलो) बहुत करीब से पदक से चूक गए थे. इन खिलाड़ियों में से इस बार दिव्या तोमर, रेशमा माने और पूजा अपनी चुनौती रखेंगी और पिछले प्रदर्शन की भरपाई करना उनका मुख्य लक्ष्य होगा. वैसे मौजूदा टीम के कुल आठ पहलवान पिछली टीम के भी सदस्य थे.
सतीश के नाम सिल्वर
मौजूदा टीम के 120 किलो के ग्रीकोरोमन शैली के पहलवान सतीश ने पिछले दिनों एशियाई जूनियर कुश्तियों में सिल्वर हासिल किया था. इसी तरह मौजूदा टीम के करण (66 किलो) ने एशियाई जूनियर और एशियाई कैडेट में ब्रॉन्ज़ जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. मंजू कुमारी (59 किलो), रेशमा माने (67 किलो) और पूजा (72 किलो) ने एशियाई जूनियर में ब्रॉन्ज़ अपने नाम किये हैं.
ग्रीकोरोमन कुश्तियों मनीष ने एशियाई जूनियर में और साजन व सुनील एशियाई कैडेट में पदक जीतकर उम्मीदें जगाई हैं. ज़ाहिर है कि यह साल भारतीय युवा पहलवानों के लिए खुशियों का पैगाम लेकर आया है. जहां भारत को एशियाई कैडेट, एशियाई जूनियर और वर्ल्ड कैडेट में अच्छे खासे पदक मिल रहे हैं, वहीं वर्ल्ड जूनियर में भी इस बार बेहतर प्रदर्शन की उम्मीदें जगी हैं. इस दल में मंजू, पूजा गहलोत, पूजा और रेशमा माने आदि महिलाएं सीनियर वर्ग में भी भाग लेती रही हैं. ज़ाहिर है कि अपने से बड़ों के साथ भिड़ने का अनुभव उनके लिए वरदान साबित हो सकता है.
ऐतिहासिक महत्व
प्रतियोगिता फिनलैंड में है. यह वही देश है जहां भारत को ओलिम्पिक खेलों का पहला वैयक्तिक पदक हासिल हुआ था. यह पदक इस देश के शहर हैलसिंकी में खाशाबा जाधव ने 52 किलोग्राम वर्ग में दिलाया था.
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