नई दिल्ली: खेल संघों को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से खेल मंत्रालय की पहल पर बनी कमिटी की एक सिफारिश को अदालत में रखने के बाद नेताओं और नौकरशाहों ने गम्भीरता के साथ अपना पक्ष रखा है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राजनीतिज्ञों और प्रशासकों को खेल संघों से दूर रखा जाये जबकि इन नेताओं का तर्क है कि कई बड़े आयोजन कराने के लिए सरकार से अनुदान राशि लगभग न के बराबर मिलती है. अगर वे हटेंगे तो इन नियमित प्रतियोगिताओं का आयोजन कैसे सम्भव है.
इसमें कोई दो राय नहीं कि कई खेलों की राष्ट्रीय चैम्पियनशिप कई-कई वर्ष आयोजित नहीं की जा सकी. उनमें हॉकी भी शामिल है. इन राजनीतिज्ञों का तर्क है कि एक-एक आयोजन में तकरीबन 50 लाख रुपये का खर्च आता है जबकि सरकार इसका दस फीसदी भी नहीं देती. अगर नेताओं की ही बेदखली कर दी जाएगी तो इससे खिलाड़ियों को होने वाले नुकसान के लिए खेल मंत्रालय को ज़िम्मेदारी लेनी होगी.
कोर्ट में सुनवाई
इन दिनों दिल्ली हाई कोर्ट में खेल संघों के स्पोर्ट्स कोड को लागू करने को लेकर सुनवाई चल रही है. खेल मंत्री विजय गोयल की पहल पर बनी इस समिति ने लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने पर ज़ोर दिया है. उसका कहना है कि हर खेल संघ में चार-चार साल के तीन कार्यकाल हों और आठ साल के बाद कूलिंग पीरियड अनिवार्य रूप से लागू हो. सूत्रों के अनुसार इस मुद्दे पर अभी और सुझाव मांगे जाएंगे और फिर इसका फाइनल ड्राफ्ट बनाकर अदालत में रखने के साथ ही इसे लागू कर दिया जाएगा.
राजनीतिज्ञों का बोलबाला
इस समय प्रफुल्ल पटेल अखिल भारतीय फुटबॉल संघ के अध्यक्ष हैं जबकि दुष्यंत चौटाला भारतीय टेबल टेनिस संघ के अध्यक्ष पद पर काबिज हैं. कुश्ती की कमान बृजभूषण शरण सिंह के पास है जबकि बैडमिंटन की हिमांता बिस्वा सरमा और वेटलिफ्टिंग की बीरेंद्र प्रसाद बैश्य के पास है.
क्रिकेट में अनुराग ठाकुर की बीसीसीआई में वापसी हो गई है जबकि अमित शाह, शरद पवार, राजीव शुक्ला, सीपी जोशी राज्य क्रिकेट एसोसिएशनों से जुड़े हैं. राजीव शुक्ला आईपीएल के भी चेयरमैन हैं.
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इतना ही नहीं, राज्य ओलिम्पिक एसोसिएशनों में डॉ. रमन सिंह, सीपी जोशी, अनुराग ठाकुर, आर. के. आनंद, सुखदेव सिंह ढींढसा, जयदेव गाल्ला आदि राजनीतिज्ञ सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं. सुरेश कलमाड़ी, विजय कुमार मल्होत्रा, सुखदेव सिंह ढींढसा और जगदीश टाइटलर खेल संघों में कई-कई दशकों की अपनी पारी खेल चुके हैं. आज भी ये दिग्गज किसी न किसी रूप में इन संघों के सदस्य हैं.
खेल मंत्रालय ने इन राजनीतिज्ञों और प्रशासकों के खिलाफ कड़े कदमों की शुरुआत कर दी है. इस मुद्दे पर अभी संबंधित पक्षों की राय ली जानी है. उसके बाद ही इस बारे में किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है.
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