नई दिल्ली: साल 2005, भारतीय टीम को नए कोच की तलाश थी. बोर्ड के पैनल ( शास्त्री, गावस्कर और राघवन) ने ग्राहम फोर्ड को चुना और वो काउंटी चले गए और फिर गांगुली की इच्छा के कारण चैपल को कोच बनाया गया. साल 2005 बीतते बीतते गांगुली के अच्छे दिन भी चले गए.
डालमिया का प्रभुत्व धीरे धीरे खत्म हो चुका था. गांगुली की फॉर्म भी गिरी, कप्तानी गयी और टीम से निकाले गए सो अलग. गांगुली वापस आये टीम में पर दुबारा कप्तान न बन पाए. साल 2016, मौका था टीम के लिए कोच का चयन. चयन करना था गांगुली, सचिन और लक्मण की तिकड़ी वाली क्रिकेट सलाहकार समिति को. गांगुली ने बड़बोलापन दिखाया और कहा कि इस बार वो 2005 की तरह रायता नहीं फैलायेंगे. (2005 की तरह गलती न दोहराएंगे कहा था दरअसल)
उन्होंने अपनी पुरानी बंगाल टाइगर वाली मनमर्जी चलाई.. और शास्त्री को एक ही शॉट में कोच की दौड़ से बाहर कर दिया. कुंबले को बगैर कोई अनुभव के कोच पड़ सौंपने का काम गांगुली कर गए और 2005 का मामला लगभग दोहरा गए. 2005 में टीम के लगभग सारे खिलाड़ी अपने कैरियर में दिग्गज खिलाड़ी का मुकाम पा चुके थे पर चैपल के दौर में सबकी फॉर्म गिरी . 2016 में टीम के खिलाड़ी दिग्गज तो नहीं थे पर फॉर्म लगभग सबकी बनी रही धवन को छोड़कर.
मीडिया में लीक
कुंबले के दौर में कोई खिलाड़ी चैपल के दौर की तरह टीम से बाहर नहीं गया. अटकलों के मुताबिक टीम का एक संदेश जो बोर्ड के सीईओ जौहरी को गया और वो मीडिया को लीक हो गया (वैसे लीक तो 2005 में चैपल द्वारा बोर्ड को भेजे गए मेल भी हुए थे सहवाग के फुटवर्क से संबंधित). टीम का मत था कि कुंबले जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप कर रहे हैं.
प्रक्रिया चालू हुई नए कोच के लिए मई के अंतिम सप्ताह में और इसी बीच गुहा का इस्तीफा बोर्ड की प्रशासक समिति से आया और मामला इधर उधर भटकता रहा. खैर कुंबले ने इस्तीफा दिया और लगभग सारी बातों की पुष्टि एक ही चिड़िया की चहचहाटनुमा ट्वीट से कर डाली. आलोचनाओं के घेरे में आये कोहली भी आये. अपुष्ट सूत्रों के हवाले से खबर में कयास लगाए गए कि बोर्ड भी चाहता था कि कुंबले हट जाएं क्योंकि वो खिलाड़ियों के वेतन भत्ते से संबंधित मामलों में नया वितरण का तरीका सुझा रहे थे.
सुर्खियां बटोरी
साल 2017, नए कोच के लिए कई उम्मीदवारों के आवेदन bcci ने मंगवाए. अटकलों के मुताबिक सचिन ने शास्त्री को आवेदन के लिए मनाया. शास्त्री के आवेदन करने से पहले ही गांगुली ने ये कहकर सुर्खियां भी बटोरी कि कोई भी आवेदन कर सकता है कोच बनने के लिए, अगर वो बोर्ड में नहीं हो तो वो भी कर सकते हैं. खैर शास्त्री ने साक्षात्कार दिया 10 जुलाई को. 10 जुलाई की दुपहरी ढलते ढलते गांगुली की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई और उन्होंने कहा कि वो टीम और कप्तान से पूछकर निर्णय लेंगे और 2 साल के लिए नियुक्ति होगी..
अटकलें तो यहाँ तक भी लगी कि सचिन कोच चयन के फैसले को टालने के फैसले में शामिल नहीं थे. रात ढली और 11 जुलाई की सुबह सुबह खबर आई कि बोर्ड की प्रशासक समिति ने फरमान सुनाया की कोच का चयन जल्दी हो. 11 जुलाई की शाम आने से पहले ही कोच के लिए शास्त्री का चयन निर्णायक मान लिया. अगले 2 साल के लिए कोच का निर्णय कर क्रिकेट सलाहकार समिति का काम काज 2019 तक केवल दिखावटी ही बचा है.
दवाब अब कोहली पर है. मीडिया वृत की चर्चाओं को माने तो कोहली की पसंद के कोच की मांग मानी जा चुकी है. अब उनसे ये उम्मीद की जाएगी कि वो 2019 विश्वकप और उससे पहले विभिन्न मुश्किल माने जाने वाले विदेशी दौरों पर भी विजय पताका लहरायें. आम क्रिकेट प्रेमी की तरह कोई भी नहीं चाहेगा कि कप्तान को पसंद का कोच मिलने के बाद के घटनाक्रम पुनः घटित हों.