नई दिल्ली: कोच के खोज की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. बीसीसीआई ने छह कोचों को शॉर्टलिस्ट किया है. इनमें रवि शास्त्री, टॉम मूडी, वीरेंद्र सहवाग, लालचंद राजपूत, रिचर्ड पाइबस और फिल सिमंस शामिल हैं. मुख्य मुक़ाबला रवि शास्त्री और टॉम मूडी के बीच है और वीरेंद्र सहवाग के लिए आउटराइट चांस तभी बन सकता है, जब शास्त्री और मूडी के नाम को पूरी तरह से खारिज कर दिया जाए.
रवि शास्त्री 2014 से 2016 तक टीम के डायरेक्टर थे. इस दौरान टीम इंडिया ने श्रीलंका और साउथ अफ्रीका के खिलाफ घरेलू सीरीज़ जीती थी. तीन बातें उनके पक्ष में हैं. पहली यह कि टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली उन्हें टीम का कोच बनाने के पक्ष में हैं. दूसरे, सचिन तेंडुलकर की सलाह पर उन्होंने आवेदन किया है.
सचिन कोच के लिए चुनी जानी वाली तीन सदस्यों की कमिटी के सदस्य हैं. तीसरे, शास्त्री ने आवेदन करने के समय कहा था कि अगर उनका चयन पक्का है, तभी वह आवेदन करेंगे. उनके रास्ते की सबसे बड़ी बाधा कमिटी के एक सदस्य सौरभ गांगुली हैं. पिछले साल उनके इंटरव्यू के बाद दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ मीडिया में काफी बयानबाज़ी की थी.
योग्यता
टॉम मूडी योग्यता के लिहाज़ से इन सबमें सबसे ऊपर हैं. वह 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने वाली टीम के कोच थे पिछले साल आईपीएल का खिताब जीतने वाली टीम के भी कोच थे. इसी टीम के साथ लक्ष्मण बतौर मेंटर जुड़े हुए हैं. दोनों की जुगलबंदी टीम के लिए काफी उपयोगी साबित हुई थी. सौरभ गांगुली के पास शास्त्री का विरोध करने के बाद टॉम मूडी के रूप में एक बड़ा विकल्प बचता है और इस आधार पर मूडी का दावा काफी मज़बूत है.
हालात बदले
तीसरे दावेदार वीरेंद्र सहवाग हैं, जिनके पास कोचिंग का कोई अनुभव नहीं है. बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी के इशारे पर उन्होंने आवेदन किया है लेकिन तब से लेकर अब तक स्थितियां काफी बदल चुकी हैं. यदि तीन सदस्यों की कमिटी ही शास्त्री और मूडी के नाम को खारिज कर देती है तो बीसीसीआई की ओर से वीरू के लिए सिगनल दिया जा सकता है.
बाकी लालचंद राजपूत, फिल सिमंस और रिचर्ड पायबस के कोच बनने की सम्भावना न के बराबर है. राजपूत के नाम 2007 का टी-20 वर्ल्ड कप और ऑस्ट्रेलिया में सीबी सीरीज़ जीतने वाली टीम के क्रिकेट मैनेजर रह चुके हैं. वह अफगानिस्तान टीम को भी कोचिंग दे चुके हैं. उनका अति शांत रवैया उनके खिलाफ जाता है.
फिल सिमंस उस ज़िम्बाब्वे टीम के कोच रहे हैं, जिसका टेस्ट का दर्जा छिन चुका है. यदि वह वेस्टइंडीज़ की टी-20 वर्ल्ड कप विनिंग टीम के कोच रहे हैं तो उसका कोई मतलब नहीं है क्योंकि इन दोनों फॉर्मेट के खेल में ज़मीन आसमान का अंतर है. रिचर्ड पायबस को बीते ज़माने का कोच कहा जा सकता है क्योंकि 1999 में वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने वाली टीम के वह कोच थे.
ज़ाहिर है कि इस रेस में मुख्य मुक़ाबला टॉम मूडी और रवि शास्त्री के बीच है. देखना है विराट की करीबियत शास्त्री के काम आती है या इस बार योग्यता को तरजीह दी जाती है.