उधमसिंह नगर: आईपीएल और भारतीय क्रिकेट टीम में बतौर खिलाड़ी खेल से करोड़ों रुपये कमा रहे टीम इंडिया के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह आज शान से अपनी जिंदगी जी रहे हैं. तो वहीं दूसरी तरफ उनके दादा बदहाली में जीने को मजबूर हैं.
बुमराह के दारा उत्तराखंड के उधमसिंह नगर में रहते हैं और अपना गुजारा चलाने के लिए टैंपो चलाते हैं. जिससे वो अपनी रोजी रोटी का जुगाड़ करते हैं. बुमराह के दादा 84 साल के संतोख सिंह उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले के किच्छा में आवास विकास कॉलोनी में किराए के मकान में रहते हैं. पारिवारिक कारणों की वजह से जसप्रीत अपने पिता की मौत के बाद अपनी मां दलजीत के साथ दादा से अलग हो गए थे.
पोते को गले से लगाना चाहते हैं
अलग होने के बाद वे दादा से नहीं मिले. तब दलजीत स्कूल में प्रिंसिपल के पद पर थीं. अब पोते की तरक्की देख संतोख का कहना है कि वो दुआ करते हैं कि उनका पोता क्रिकेट के खेल में खूब आगे बढ़े और देश का नाम रोशन करे. उन्होंने कहा कि उनकी आखिरी तमन्ना है कि वो एक बार अपने पोते को गले से जरूर लगाना चाहते हैं.
कर्ज
संतोखसिंह अहमदाबाद के रहने वाले हैं. टैंपो चलाने से पहले इनके फैब्रिकेशन के 3 कारखाने थे. इसके बाद 2001 में पीलिया के कारण उनके बेटे और जसप्रीत के पिता जसवीर सिंह का देहांत हो गया. जिसके बाद से कारखानों को बैंकों का कर्ज चुकाने के लिए बेचना पड़ा.
2006 में संतोख ऊधमसिंह नगर आ गए. जहां उन्होंने 4 टैंपो खरीदे. इन्हें वे किच्छा से रुद्रपुर के बीच चलाने लगे. लेकिन हालात इतने खराब थे कि उन्हें 3 टैंपो बेचने पड़े.
बता दें कि 2010 में जसप्रीत की दादी का भी निधन हो गया था और उनके चाचा विकलांग हैं. काफी वक्त तक जसप्रीत की अहमदाबाद में रहने वाली बुआ ने ही पिता संतोखसिंह और अपने भाई का खर्च उठाया था. लेकिन अब संतोखसिंह ने स्थानीय एसडीएम नरेश दुर्गापाल से आर्थिक मदद की गुहार भी लगाई है.