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अलहड़ साबित हुईं पाक बल्लेबाज, 74 रन पर समेट गेंदबाजों ने शान से चुकाया हिसाब

नई दिल्ली: भारत की महिला टीम ने वर्ल्ड कप में विराट की टीम की हार का हिसाब पाकिस्तान से खूब चुकाया. साथ ही भारतीय गेंदबाज़ों ने साबित कर दिया कि उनमें छोटे स्कोर (9/169) का बचाव करने का भी खूब माद्दा है.
भारतीय स्पिनरों की घुमावदार गेंदों का पाकिस्तान के पास कोई जवाब नहीं था जिससे भारतीय टीम पाकिस्तान पर वर्ल्ड कप में दूसरी और कुल सातवीं जीत हासिल करके अपने अपराजित क्रम को बरकरार रखने में सफल रही. यह इस वर्ल्ड कप में भारत की लगातार तीसरी जीत है.
पाकिस्तान की टीम भारत के खिलाफ तीसरे न्यूनतम स्कोर पर आउट हो गई. इससे पहले पाकिस्तान का भारत के खिलाफ न्यूनतम स्कोर 57 रन था, जो उसने ब्रेडमैन ओवर मैदान पर 1997 में बनाया था. इस साल फरवरी में वर्ल्ड कप क्वॉलिफायर में पाकिस्तान की टीम 67 पर सिमट गई थी. उस मैच में भी बाएं हाथ की स्पिनर एकता बिष्ट ने केवल आठ रन देकर पांच विकेट हासिल किए थे. एकता इस बार भी पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द साबित हुईं और उन्होंने 18 रन में पांच विकेट हासिल किए जिससे भारत यह मैच 95 रन से जीतने में सफल रहा.
आधी टीम पैवेलियन
तीन बार की वर्ल्ड चैम्पियन इंग्लैंड और फिर पिछली रनर्स अप वेस्ट इंडीज़ को चैम्पियन की तरह हराने वाली भारतीय टीम ने जब पाकिस्तान के सामने 169 रन बनाए तो उस समय ज़रूर ऐसा लगा था कि पाकिस्तान किसी उलटफेर की ओर बढ़ रहा है लेकिन पाकिस्तान के शुरुआती ओवरों ने ही मैच का परिणाम लगभग तय कर दिया.
आलम यह था कि पहले 15 ओवर में पाकिस्तान की आधी से ज़्यादा टीम पैवेलियन लौट आई थी और तब तक उसका एक भी बल्लेबाज़ दहाई की संख्या तक नहीं पहुंचा था और स्कोरबोर्ड पर केवल 26 का स्कोर अंकित था.
पाकिस्तान की पारी के दस ओवरों ने ही मैच का रुख तय कर दिया, जिसमें न सिर्फ चार विकेट गिरे बल्कि इस दौरान पाकिस्तान की कोई भी बल्लेबाज़ दहाई के स्कोर तक नहीं पहुंच पाई. पाकिस्तान की ज़्यादातर बल्लेबाज़ गेंद की लाइन को समझने में अलहड़ साबित हुए और चार खिलाड़ी इसी तरह एलबीडब्ल्यू आउट हुईं.
स्मृति मंधाना नहीं दिखा पाईं कमाल
इससे पहले ज्यादातर भारतीय बल्लेबाज़ों को क्रॉस खेलना महंगा साबित हुआ और कुछ गेंद का पूर्वानुमान न लगा पाने की वजह से विकेट थ्रो करके आउट हुए. पहले दो मैचों की स्टार स्मृति मंधाना इनमें से पहली ग़लती की शिकार हुईं जो अंदर की ओर स्विंग होती गेंद को समझ नहीं पाईं.
पूनम राउत और दीप्ति शर्मा ने टेस्ट मैच के अंदाज़ में खेलने हुए पारी को संवारा और दूसरे विकेट के लिए 67 रन की पार्टनरशिप करके भारत को संकट से उबारने का काम किया. मगर इसके बाद विकेटों के गिरने का सिलसिला शुरू हो गया, जिससे भारत का रन रेट भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ.
आक्रामक बल्लेबाज़ी
ऐसे समय में सुषमा वर्मा ने साबित कर दिया कि वह न केवल अच्छी विकेटकीपर हैं बल्कि ज़रूरत पर अच्छी और आक्रामक बल्लेबाज़ी भी कर सकती हैं. उनकी 35 गेंदों पर 33 रनों की पारी का ही कमाल था कि भारत एक चुनौतीपूर्ण स्कोर तक पहुंच सका.
सुषमा ने दिखा दिया कि दबाव में भी आतिशी पारी खेली जा सकती है. इस साल फरवरी में साउथ अफ्रीका के खिलाफ अपने इंटरनैशनल करियर की शुरुआत करने वाली नशारा संधू ने अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी करते हुए चार विकेट चटकाए.
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