नई दिल्ली: कहते हैं कि आगाज़ अच्छा हो तो अंत भी अच्छा ही होता है. जी हां, भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप क्रिकेट में बहुत बड़ा उलटफेर करते हुए डर्बी में खेले गए मैच में तीन बार की चैम्पियन इंग्लैंड को 35 रन से धो डाला. भारत के फील्डिंग कोच और बड़ौदा के प्रथम श्रेणी के क्रिकेटर तुषार अरोठे की मेहनत रंग लाई और भारतीय फील्डरों ने चार रन आउट करके मैच को निर्णायक बना दिया.
इसके अलावा वर्ल्ड कप का अब तक का अपना दूसरा सबसे बड़ा स्कोर बनाने के अलावा भारतीय ओपनिंग जोड़ी की सेंचुरी पार्टनरशिप, शीर्ष क्रम के सभी बल्लेबाज़ों का चलना, फिर गेंदबाज़ों की सधी गेंदबाज़ी और यूडीआरएस का साथ मिलने से बाकी का काम भी आसानी से पूरा हो गया.
यह भारत की इंग्लैंड पर वर्ल्ड कप में चौथी जीत है. भारतीय खिलाड़ियों ने यह भी साबित कर दिया कि पुराने आंकड़ों का कोई मतलब नहीं है क्योंकि इंग्लैंड का पुराना रिकॉर्ड भारत से कहीं अच्छा रहा है. कप्तान हैदर नाइट और फ्रान विल्सन का क्रीज़ पर जमने के बाद रन आउट होना भारत के लिए निर्णायक साबित हुआ. ब्रंट और गन भी रनआउट के शिकार बने.
इसके अलावा भारतीय गेंदबाज़ी सधी हुई रही. स्पिन विभाग में भी और तेज़ गेंदबाज़ी में भी, जिससे भारत का 281 रन का स्कोर इंग्लैंड के लिए पहाड़ साबित हुआ. जब इंग्लैंड का दूसरा विकेट गिरा तो मैदान पर चौको और छक्का का अकाल पड़ गया. तब 75 गेंदों पर एक भी बाउंड्री नहीं पड़ी. हालांकि हैदर नाइट ने पूनम यादव के पारी के 30वें ओवर में दो छक्के लगाकर इस चुप्पी को तोड़ा लेकिन उसके बाद वह भी चलती बनीं.
इससे पहले भारत ने न सिर्फ वर्ल्ड कप का अपना दूसरा सर्वाधिक स्कोर बनाया बल्कि इंग्लैंड के खिलाफ वर्ल्ड कप में अपना सर्वाधिक स्कोर भी पूरा करके यह साबित कर दिया कि वह इस बार काफी अच्छी तैयारी के साथ आई हैं और अपने सामने तीन बार की वर्ल्ड चैम्पियन का कोई मनोवैज्ञानिक असर उस पर नहीं है.
भारत का जो भी बल्लेबाज़ उतरा, उसने कमाल का प्रदर्शन किया. सबसे पहले पूनम राउत और स्मृति मंधाना ने सेंचुरी पार्टनरशिप की. पहले विस्फोटक अंदाज़ में कमान स्मृति ने सम्भाली. इंजरी से लौटने के बाद महाराष्ट्र के सांगली ज़िले की इस खिलाड़ी ने आत्मविश्वास के साथ खेलते हुए यह साबित कर दिया कि वह स्ट्रोक्स खेलने में अब पूरी तरह से तरोताज़ा हैं.
उन्होंने खासकर ड्राइव और पुल शॉट्स काफी सहजता के साथ खेले. खासकर इंग्लैंड की मुख्य स्ट्राइक गेंदबाज़ अन्या श्रबसोल पर पारी के 24वें ओवर में एक छक्का और तीन चौके सहित कुल 20 रन बनाकर उन्होंने साबित कर दिया कि वह आज टीम की सबसे आतिशी पारी खेलने की हिम्मत रखती हैं. उन्होंने अपने करियर की सबसे तेज़ हाफ सेंचुरी 45 गेंदों पर पूरी की. उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया.
उस समय दूसरे छोर पर पूनम राउत लंगर डालकर खेल रही थीं लेकिन स्मृति के आउट होने के बाद उन्होंने अपनी रन गति को तेज़ कर दिया. उन्होंने पहले जीवनदान का फायदा उठाते हुए विकेट के चारों ओर स्ट्रोक खेले. शुरू में उन्होंने कवर और स्कवेयर ड्राइव लगाए और अपनी पारी के आखिरी दौर में उन्होंने फ्लिक शॉट्स सहित लेग साइड पर कई अच्छे स्ट्रोक्स खेले. हालांकि दूसरे जीवनदान के तुरंत बाद उन्हें मैदान से रूखसत होना पड़ा.
इन दोनों के बाद बारी थी टीम की कप्तान मिताली राज की, जिन्होंने वनडे क्रिकेट में लगातार सातवीं हाफ सेंचुरी लगाकर युवा खिलाड़ियों के लिए एक मिसाल क़ायम की. ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी करने से परहेज करते हुए उन्होंने माइकल बेवन स्टाइल में अपनी हाफ सेंचुरी पूरी की. उन्होंने बड़े शाट्स खेलने के लिए कमज़ोर गेंदों का इंतज़ार किया.
आखिरी ओवरों में हरमनप्रीत ने मिताली के साथ रनगति को आगे बढ़ाया. इस तरह भारत ने आखिरी दस ओवरों में 74 रन जोड़े. इंग्लैंड अगर इस स्कोर को पार कर लेता है तो यह उसका वर्ल्ड कप में रनों का पीछा करते हुए दूसरा सबसे बड़ा चेज़ होगा. अब भारत की अगली चुनौती वेस्टइंडीज़ से टॉन्टन में 29 जून को है.