लंदन: इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के बीच राजस्व मामला सुलझ गया है. अब नए समझौते के मुताबिक भारतीय बोर्ड को 40 करोड़ 50 लाख डॉलर मिलेंगे.
लंदन में हुए आईसीसी के वार्षिक सम्मेलन में बीसीसीआई और आईसीसी के बीच राजस्व मामले पर सहमति बन गई है. इसके तहत बीसीसीआई को अब 40.5 करोड़ डॉलर मिलेंगे. इससे पहले बीसीसीआई को आईसीसी ने नए मॉडल में 29.3 करोड़ डॉलर देने की बात कही थी. जिस पर भारत लगातार विरोध जता रहा था. इस विरोध के चलते आईसीसी चेयरमैन शशांक मनोहर बीसीसीआई को अतिरिक्त 10 करोड़ डॉलर देने को राजी हो गए.
पिछले बिग थ्री मॉडल में आईसीसी से बीसीसीआई को 57 करोड़ डॉलर मिलते थे. अब नए राजस्व मॉडल में बीसीसीआई की हिस्सेदारी को घटा दिया गया है. जिस पर बीसीसीआई ने काफी विवाद किया था. इसके चलते तब भारत ने शंशाक मनोहर के इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया था.
लेकिन अब बीसीसीआई ने पिछली मंजूर राशि से 11.2 करोड़ डॉलर अतिरिक्त लेकर इस पर मंजूरी जता दी है. हालांकि नए राजस्व में भारत को पिछले मॉडल से 17.5 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ है.
लेकिन इसके बाद भी बीसीसीआई को दूसरे देशों से ज्यादा राशि मिलेगी. बीसीसीआई को इंग्लैंड से 26.6 करोड़ डॉलर ज्यादा मिलेंगे क्योंकि उसे 13.9 करोड़ डॉलर मिल रहे हैं. वहीं ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और बांग्लादेश को एक समान 12.8 करोड़ डॉलर की राशि मिलेगी. इसके अलावा जिम्बाब्वे को 9.4 करोड़ डॉलर मिलेंगे.
बिग थ्री
दरअसल, आईसीसी के पुराने वित्तीय मॉडल की बात करें तो ‘बिग थ्री’ (भारत, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया) को मिलने वाले राजस्व का प्रतिशत बाकी देशों को मिलने वाले राजस्व प्रतिशत से ज्यादा था. इन तीन क्रिकेट बोर्ड के पास बेतहाशा पैसा होने का भी यही कारण है.
जिसके कारण आईसीसी इसे अब बदलना चाहती थी. आईसीसी इन तीन देशों के वर्चस्व को कम करना चाहती थी और रेवेन्यू शेयर को सदस्य देशों में सही तरीके से बांटना चाहती थी.