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पाकिस्तान के लिए फादर्स डे पर क्रिकेट बना मदर्स ऑफ ऑल गेम

नई दिल्ली : टीम इंडिया के लिए संडे का दिन सुपरसंडे बनने के बजाय फ्लॉप संडे बनकर रह गया. वहीं फादर्स डे के मौके पर यह मुक़ाबला पाकिस्तान के लिए मदर्स ऑफ ऑल गेम बन गया. उसने इस जीत के साथ आठ दिन पहले ही ईद मना ली.
उधर हार्दिक पंड्या ने आतिशी बल्लेबाज़ी करके भारतीय दर्शकों को कुछ समय के लिए रोमांचित कर दिया. इस तरह पाकिस्तान ने भारत से 50 ओवरों के आईसीसी टूर्नामेंट के पहली बार हुए फाइनल में 180 रन से हराकर चैम्पियंस ट्रॉफी अपने नाम कर ली. एक ऐसी टीम जो इस टूर्नामेंट की सबसे निचली रैंकिंग की टीम थी, उसने पिछले चैम्पियन को चैम्पियन के अंदाज़ में हराकर लीग मुक़ाबले सहित पिछली कई पराजयों का हिसाब चुकता किया.
यह मैच भारत के लिए दु:स्वपन साबित हुआ, जिसे वह भविष्य में शायद ही कभी याद करना चाहेगा. इसी दिन भारतीय हॉकी टीम ने पाकिस्तान को 7-1 से हराकर चैम्पियन के अंदाज़ में वर्ल्ड लीग हॉकी सेमीफाइनल्स में जीत हासिल की जबकि किदाम्बी श्रीकांत ने इसी दिन इंडोनेशियाई ओपन का खिताब अपने नाम किया.
यानी जिस खेल को देश में धर्म की तरह पूजा जाता है, आज उसी ने देश को शर्मसार कर दिया. वहीं पाकिस्तान ने आठ साल के बाद आईसीसी टूर्नामेंट में भारत को हराया. भारतीय टीम से ग़लतियां एक नहीं, अनेक हुईं. पहली बड़ी ग़लती टीम कॉम्बिनेशन की थी, जहां भारत का एक गेंदबाज़ कम रह गया. यहां उमेश यादव की कमी महसूस हुई.
उनकी कमी से भारत को अपना पार्ट टाइम बॉलर केदार जाधव से 40 ओवर के बाद के अहम् ओवरों में गेंदबाज़ी करानी पड़ी. दूसरी बड़ी कमी गेंदबाज़ों की असफलता थी. भुवनेश्वर को छोड़कर कोई भी गेंदबाज़ सटीक लाइन और लेंग्थ से गेंदबाज़ी नहीं कर पाया। यहां तक कि दोनों स्पिनरों ने तो भारत का भट्टा ही बिठा दिया. दोनों की बेहद रक्षात्मक गेंदबाज़ी समझ से परे थी.
ऐसी स्थिति में केदार जाधव को देरी से मोर्चे पर लाना भी भारत को महंगा साबित हुआ. भारतीय गेंदबाज़ों को भुवनेश्वर से सबक सीखना चाहिए जिन्होंने अपनी यॉर्कर, स्लोअर और नक्कल बॉल से प्रभावित किया. भारतीय गेंदबाज़ों ने 13 वाइड और तीन नो बॉल फेंकी. आलम यह था कि अश्विन और केदार जाधव जैसे स्पिनर्स भी एक ओवर में दो-दो वाइड करते दिखाई दिए.
जहां भारत को अटैक करना चाहिए था, वहां लाइन-लेंग्थ से भटकी गेंदबाज़ी ने पाकिस्तान का काम आसान कर दिया और उन्हें जमने का मौका दे दिया. इसीका फायदा अज़हर अली ने हाफ सेंचुरी और फखर जमां ने सेंचुरी लगाकर उठाया और विकेट के हर तरफ स्ट्रोक लगाए.
जहां भुवनेश्वर को छोड़कर भारतीय गेंदबाज़ों ने अहम मुक़ाबले में पीठ दिखा दी, वहीं पाकिस्तानी गेंदबाज़ों ने चैम्पियन के अंदाज़ में प्रदर्शन किया. दोनों टीमों की गेंदबाज़ी में ज़मीन-आसमान का अंतर रहा.
मोहम्मद आमिर हमेशा की तरह भारतीय बल्लेबाज़ों के लिए आतंक का पर्याय बन गए. उनकी
इनस्विंगर खतरनाक साबित हुईं. वहीं हसन अली तीन और विकेट लेकर इस टूर्नामेंट में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ बन गए.
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