लंदन : आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में भारत-पाकिस्तान के बीच महा मुकाबले में भारत को हार का मुंह देखना पड़ा. उम्मीद के विपरीत प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तान टीम ने टीम इंडिया को 180 रन से करारी शिकस्त देते हुए पहली बार इस खिताब पर कब्जा कर लिया. विराट की सेना के सारे शेर ओवल में आसानी से ढेर हो गये. खिताबी मुकाबले में टीम इंडिया 159 रनों पर ऑल आउट होकर अपना खिताब भी नहीं बचा पाई.
टॉस जीतकर बॉलिंग करना गलत फैसला:
टॉस जीतकर विराट कोहली ने पाकिस्तान को पहले बल्लेबाजी करने का न्योता दिया था. मगर जब पाकिस्तान ने 339 रनों का पहाड़ जैसा लक्ष्य टीम इंडिया के सामने रखा तो लगा जैसे विराट का ये फैसला गलत साबित हो गया. मगर उम्मीद थी की भारतीय टीम की बैटिंग लाइन-अप काफी डीप है, इसलिए टीम इंडिया मैच जीत लेगी.
मगर पाकिस्तानी बॉलिंग के सामने जिस तरह से ओवल के पिच पर विराट की सेना के सारे शेर एक-एक कर ढेर हो रहे थे, उससे कभी भी नहीं लगा कि भारत ये मैच जीत भी सकती है.
पाकिस्तान का पहाड़ जैसा लक्ष्य:
दरअसल, पाकिस्तान की ओर से दिये गए 339 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम इंडिया की शुरुआत काफी खराब रही. टीम इंडिया विशाल स्कोर का पीछा करने उतरी ही थी कि इंडिया ने जीरो रन के स्कोर पर ही रोहित शर्मा के रूप में अपना पहला विकेट खो दिया. रोहित शर्मा पारी की तीसरी गेंद पर ही मोहम्मद आमिर की गेंद पर एलबीडब्ल्यू का शिकार होकर पवेलियन चलते बने.
अब बारी आई विराट कोहली की. विराट कोहली से लोगों को उम्मीद थी कि रोहित के आउट होने के बाद वो टीम इंडिया को संभाल लेंगे और एक बड़ी पारी खेलेंगे, मगर ये सपना ही फैन्स का तुरंत ही टूट गया, जब कोहली भी आमिर की गेंद पर पांच रन बनाकर कैच थमाकर चलते बने. हालांकि, आउट होने से पहले वाले गेंद पर ही उन्हें जीवनदान मिला था.
ताश के पत्तों की तरह गिरते रहे टीम इंडिया के विकेट:
इस तरह से टीम इंडिया ने महज 6 रनों के अंदर अपने दो कीमती विकेट गवा दिया था. हालांकि, शिखर धवन एक छोर से जमे थे, मगर वो भी 21 रन के व्यक्तिगत स्कोर पर आमिर की गेंद पर विकेट के पीछे सरफराज को आसान कैच थमा कर चलते बने. शिखर धवन जब आउट हुए तब टीम इंडिया का स्कोर 33 रन था.
हालांकि, युवराज सिंह से उम्मीद थी कि शायद वो 2011 का सीन दोहराएंगे, मगर वो लय में लौटे ही थे कि उन्हें भी शादाब खान ने एलबीडब्ल्यू कर अपना शिकार बना लिया. इस तरह से युवराज सिंह भी 22 रन बनाकर चलते बने. दुनिया के नंबर वन फिनिशर भी कुछ कमाल नहीं कर पाए. एमएस धोनी भी चार रन बनाकर हसन की गेंद पर इमाद वसीम को कैच थमाकर चलते बने. केदार जाधव भी कुछ नहीं कर पाए और 9 रन पर शादाब को विकेट देते चले.
ओवल में आसानी से ढेर हो गये विराट की सेना के शेर:
मगर एक समय ऐसा भी आया जब लगा कि हार्दिक पांड्या मैच भले ही न जिता पाएं मगर सम्मान जनक स्कोर पर तो जरूर पहुंचा देंगे. लेकिन वो भी समपा चकनाचूर हो गया. हालांकि, पांड्या ने पाकिस्तानी बॉलिंग अटैक का जमकर सामना किया और उन्होंने रवींद्र जडेजा के साथ आठवें विकेट के लिए 80 रन जोड़े. मगर ये भी भारत को जीत दिलाने के लिए काफी नहीं थे. पांड्या 76 रन पर थे कि उन्हें जडेजा ने रनआउट करा दिया.
पांड्या के विकेट गिरते ही भारतीय फैन्स की सारी उम्मीदें टूट गईं और उसी समय भारत की हार की स्क्रिप्ट लिख दी गई. एक के बाद एक भारतीय बल्लेबाज लौटते गए और टीम इंडिया को दूसरी बार यह ट्रॉफी जीतने का सपना टूट गया.
टीम इंडिया नहीं बचा सकी खिताब :
बता दें कि पाकिस्तान ने पहले बैटिंग करते हुए 50 ओवर में 4 विकेट पर 338 रन बनाए थे, जिसमें फखर जमां के 114 रन (106 गेंद, 12 चौके, 3 छक्के) का अहम योगदान रहा. गेंदबाजी में पाक की ओर से मोहम्मद आमिर और हसन अली के खाते में तीन-तीन विकेट गए, तो शादाब खान ने दो विकेट और जुनैद खान ने एक विकेट लिया. विराट की सेना इसके जवाब में 158 रनों पर ढेर हो गई.