नई दिल्ली: किसी की तोंद निकल रही है तो किसी की उम्र बढ़ रही है. किसी से हाथ में आई हुई गेंद भी लपकी नहीं जा रही तो कोई विकेट के पीछे कीपर की भूमिका में गेंद को रोक नहीं पा रहा और गेंदबाज़ अहम मौके पर दिशा से भटक गए. ऐसी टीम से क्या उम्मीद करें. उसने हारना ही था. जी हां, हम बात कर रहे हैं श्रीलंका की. गनीमत है कि उसने एक समय पाकिस्तान के सात विकेट चटका लिए लेकिन इसका दबाव पाकिस्तान पर होने के बजाय श्रीलंका के गेंदबाज़ों और फील्डरों पर ही दिखा.
पाकिस्तान के साथ भारत की दुश्मनी कितनी भी क्यों न हो लेकिन भारतीय दर्शक पाकिस्तान की इस जीत पर ताली बजाय बिना नहीं रह पाए. ठीक उसी तरह जैसे 1983 के वर्ल्ड कप में भारत की खिताबी जीत पर पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने रात भर भांगड़ा किया था. कई उत्साही भारतीय दर्शकों ने तो यहां तक कह दिया कि पाकिस्तान ने श्रीलंका के हाथों लीग मैच में हुई हार का हिसाब चुकता किया है.
बहरहाल पाकिस्तान की टीम संकट की स्थिति से उबरने के साथ ही श्रीलंका पर तीन विकेट की जीत हासिल करके सेमीफाइनल में पहुंच गई हैं. अब उसका सेमीफाइनल में मुक़ाबला इंग्लैंड से कार्डिफ में 14 जून को होगा. इस तरह चैम्पियंस ट्रॉफी में एशियाई टीमों का दबदबा देखने को मिला. सेमीफाइनल में पहुंचने वाली चार टीमों में से तीन टीमें एशिया से हैं.
अटैकिंग फील्ड
ऐसी स्थिति में कुछेक मौकों पर श्रीलंका ने अटैकिंग फील्ड लगाई. मगर गेंदबाज़ों ने दिशा से भटककर पाकिस्तान का काम आसान कर दिया. तारीफ करनी होगी मोहम्मद आमिर की, जिन्होंने पहले दो विकेट चटकाए और फिर बढ़िया बल्लेबाज़ी करके दूसरे छोर पर खड़े कप्तान सरफराज़ की भी उम्मीदें जगा दीं.
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हालांकि सरफराज़ ने कार्डिफ में अपनी दूसरी हाफ सेंचुरी लगाई लेकिन यह भी सच है कि मालिंगा के सामने उनके दो-दो कैच भी छूटे. ऐसी स्थिति में उन्होंने समझदारी से बल्लेबाज़ी कर रहे मोहम्मद आमिर से अपने ऊपर धैर्य रखना सीखा. दोनों ने आठवें विकेट के लिए 50 से ज़्यादा रन की पार्टनरशिप करके पाकिस्तान को खतरे से उबार दिया. वहीं पाकिस्तान की पारी में दूसरा वनडे खेल रहे फखर ज़मां ने अटैकिंग बल्लेबाज़ी करते हुए न सिर्फ हाफ सेंचुरी लगाई बल्कि अपन टीम की जीत का भी आधार तैयार किया.
स्पिनर की कमी
श्रीलंका को एक स्तरीय स्पिनर की कमी खली. रंगना हैरात का केवल टेस्ट खेलना उसे महंगा साबित हुआ. पहले सात विकेट चटकाने में श्रीलंका की शॉर्ट पिच गेंदें फेंकने की रणनीति कारगर रही जिस पर पाकिस्तानी गेंदबाज़ों के बल्ले के बाहरी किनारे से गेंदें निकलती रहीं और उसके खिलाड़ी वैसी ही ग़लती करते चले गए जो श्रीलंका के बल्लेबाज़ों ने की थी. फर्क सिर्फ इतना था कि पाकिस्तानी गेंदबाज़ों ने सीम मूवमेंट का अच्छा इस्तेमाल किया और श्रीलंका के बल्लेबाज़ों ने भी एक समय ऐसा ही दबाव अपने ऊपर ले लिया था.
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आश्चर्यजनक ढंग से इंग्लैंड में इस टूर्नामेंट मे गेंद यदा-कदा ही स्विंग हो पाई है. यही वजह है पाकिस्तानी गेंदबाज़ों ने सीम मूवमेंट का और श्रीलंका ने शॉर्ट पिच गेंदों का अच्छा इस्तेमाल किया. श्रीलंका की ओर से डिकवेला और एंजेलो मैथ्यूज़ अकेले पड़ गए जिसका पाकिस्तानी गेंदबाज़ों ने भरपूर फायदा उठाया. हाफ सेंचुरी बनाने वाले सरफराज़ मैन ऑफ द मैच रहे जिन्होंने श्रीलंका के फील्डरों से मिले मौकों का भरपूर फायदा उठाया.