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भारत ने गाड़े झंडे, साउथ अफ्रीका फिर बना चोकर

नई दिल्ली: पिछले मैच में जो भारत की कमज़ोरी थी, वही साउथ अफ्रीका के खिलाफ उसकी ताक़त बन गई और शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ों ने भी अपने अंदाज़ में बल्लेबाज़ी करते हुए चैम्पियन की तरह सेमीफाइनल में जगह बनाई. पिछली बार की चैम्पियन इस टीम का मुक़ाबला अब बांग्लादेश से 15 जून को एजबेस्टन में होगा. एक बार फिर दुनिया की नम्बर एक टीम साउथ अफ्रीका आईसीसी टूर्नामेंट में चोकर साबित हुई.
वहीं साउथ अफ्रीका की टीम पहले पाकिस्तान से हारी और अब भारत से. ऐसा लगता है कि हरे कपड़े पहनने वालों के खिलाफ भारतीय खिलाड़ी कुछ ज़्यादा ही आत्मविश्वास से खेलते हैं. बल्लेबाज़ों की हड़बड़ाहट, सूझबूझ की कमी और विकेट के बीच की दौड़ की कमज़ोरी उसकी बड़ी परेशानी साबित हुई. वहीं कप्तान विराट कोहली ने टॉस जीतने के साथ ही आधी लड़ाई जीत ली थी क्योंकि इंग्लैंड में विकेट बाद में बल्लेबाज़ी करने वालों के लिए सपाट हो जाती है.
दूसरे, भारत की फील्डिंग इस पूरे टूर्नामेंट में पहली बार अपने शवाब पर थी. शुरुआती ओवरों में विराट की अच्छी फील्डिंग का असर बाकी भारतीय फील्डरों पर भी काफी अच्छा पड़ा. इसी के फलस्वरूप भारत ने साउथ अफ्रीका के तीन खिलाड़ियों को रन आउट किया. इस चैम्पियंस ट्रॉफी में पहला मैच खेल रहे अश्विन ने अमला का अहम विकेट लेकर भारत की जीत का आधार तैयार किया.
हार्दिक पंड्या ने पूरे दस ओवर गेंदबाज़ी की और भुवनेश्नर ने अहम मौकों पर भारत को दो विकेट दिलाकर इस जीत में अहम भूमिका निभाई जिससे साउथ अफ्रीकी टीम इस टूर्नामेंट में इस बार दूसरे न्यूनतम स्कोर पर आउट हो गई और भारत के लिए लक्ष्य बेहद आसान हो गया. किफायती गेंदबाज़ी के साथ दो विकेट लेन वाले जसप्रीत बुमराह मैन ऑफ द मैच रहे.
भारत की ओर से एक बार फिर सेंचुरी पार्टनरशिप देखने को मिली. इस बार भी शिखर का बल्ला खूब दहाड़ा। उन्होंने विराट के साथ इस बार अपने काम को बखूबी अंजाम दिया. इस नॉकआउट मैच में टीम पर कोई दबाव नहीं दिखा। यही एक चैम्पियन टीम की सबसे बड़ी निशानी होती है. शिखर न सिर्फ इस चैम्पियंस ट्रॉफी में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बन गए हैं बल्कि उन्होंने आईसीसी वनडे टूर्नामेंटों में सबसे कम मैचों में एक हज़ार रन का आंकड़ा भी पार कर लिया और इस बारे में सचिन के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया.
उनके पुल, कवर और स्ट्रेट ड्राइव देखने लायक थे. वहीं विराट की इस पारी से साबित हो गया कि उन्हें अपना स्वाभाविक खेल ही खेलना चाहिए क्योंकि शुरुआती ओवरों में वह बेहद सम्भलकर खेल रहे थे और इसी दौरान उन्हें एक जीवनदान मिला और एक प्रयास पर वह बाल-बाल बचे थे लेकिन शुरुआती लड़खड़ाहट के बाद उन्होंने खुलकर स्ट्रोक खेले. हालांकि विनिंग मौके पर उनके साथ शिखर नहीं थे, वह युवराज थे जिन्होंने इस बार विनिंग सिक्सर लगाकर भारत को चैम्पियन की तरह सेमीफाइनल में जगह दिलाई.
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