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इंग्लैंड ने वर्ल्ड चैम्पियन को हराकर खोला बांग्लादेश के लिए सेमीफाइनल का रास्ता

इंग्लैंड को हराकर बांग्लादेश ने पिछले वर्ल्ड कप के क्वॉर्टर फाइनल में जगह बनाई थी, उसी इंग्लैंड ने इस बार बांग्लादेश का भला कर दिया और उसे चैम्पियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में पहुंचा दिया.

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  • June 11, 2017 8:46 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली : जिस इंग्लैंड को हराकर बांग्लादेश ने पिछले वर्ल्ड कप के क्वॉर्टर फाइनल में जगह बनाई थी, उसी इंग्लैंड ने इस बार बांग्लादेश का भला कर दिया और उसे चैम्पियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में पहुंचा दिया. बेन स्ट्रोक और इयान मोर्गन लगता है कि शाकिब-उल-हसन और महमुदुल्लाह की एक दिन पहले की बल्लेबाज़ी से इतना प्रभावित हुए कि कुछ वैसा ही कमाल इस जोड़ी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कर दिखाया और बाकी का काम बाकी के बल्लेबाज़ों ने अच्छी सूझबूझ के साथ कर लिया.
 
दूसरी बार जब खेल बारिश की वजह से रुका तो फिर शुरू नहीं हो सका और इंग्लैंड ने यह मैच डकवर्थ लुइस के आधार पर 40 रन से जीत लिया और ऑस्ट्रेलिया को बिना किसी जीत के टूर्नामेंट से रुखसत होना पड़ा.
 
तारीफ करनी होगी इंग्लैंड के पेशेवर रुख की, जिसने पिछले 11 वनडे मैचों में दसवीं जीत दर्ज की. जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ता गया, एजबेस्टन का विकेट भी आसान होता गया और बल्लेबाज़ों को स्ट्रोक खेलने में कोई परेशानी नहीं हुई. स्ट्रोक और मोर्गन टीम को सुरक्षित स्थिति में पहुंचा चुके थे और उसके बाद तो ऐसा लगा जैसे इंग्लैंड की टीम अगले मैचों की प्रैक्टिस कर रही हो. उस समय बल्लेबाज़ों ने जोखिम भरे शॉट्स खेलना बंद कर दिया था और शॉट्स के लिए कमज़ोर गेंदों का इंतज़ार किया.
  
दोनों ने ऐसे समय में कमान सम्भाली, जब इंग्लैंड ने तीन चोटी के बल्लेबाज़ों के विकेट बहुत जल्दी खो दिए थे. ऐसे समय में शाकिब और महमुदुल्लाह ने 150 से ज़्यादा रन की पार्टनरशिप करके स्थिति को संभाल लिया. मोर्गन इस समय ज़बर्दस्त फॉर्म में हैं और इस साल सबसे अधिक रन बनाने वालों में तीसरे स्थान पर हैं. उन्होंने खासकर मिडविकेट के ऊपर से लॉफ्टेड शॉट्स खेलने की रणनीति बनाई. जिसने उनके शरीर पर निशाना साधा, उसका उन्होंने लॉफ्टे शॉट्स के साथ माकूल जवाब दिया. मोर्गन ने पांच छक्के लगाकर मौजूदा चैम्पियंस ट्रॉफी में सबसे ज़्यादा सात छक्के लगाने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया. 
 
इतना ही नहीं, उन्होंने स्ट्रोक्स का भी विकेट के बीच आत्मविश्वास बढ़ाने का काम किया. यही वजह है कि स्ट्रोक्स अपनी तीसरी सेंचुरी बनाने में क़ामयाब रहे. उन्होंने साबित कर दिया कि आईपीएल में राइज़िंग पुणे सुपर जायंट्स की टीम ने उन्हें ऐसे ही सबसे महंगा खिलाड़ी नहीं बनाया. जब बारिश के बाद खेल रुका तो ऐसा लगा कि अब रनों की बारिश शुरू हो गई है और इसका बड़ा श्रेय स्ट्रोक्स को ही जाता है जिन्होंने अपने पहले 50 रन केवल 25 गेंदों पर ही पूरे कर लिए और इसके बाद शुरू हुई उनकी मैच विनर की टिकाऊ पारी. वह ऑलराउंडर से ज़्यादा एक कुशल बल्लेबाज़ की तरह खेले और विकेट के चारों ओर उन्होंने स्ट्रोक खेले. इसके बाद का काम बटलर ने स्ट्रोक्स का साथ निभाकर पूरा कर दिया.
 
वहीं ऑस्ट्रेलिया को देखकर कहीं से नहीं लगा कि वह वर्ल्ड चैम्पियन है. उसकी गेंदबाज़ी में सही लाइन गायब थी. उसकी शॉर्ट गेंदों का इंग्लिश बल्लेबाज़ों ने भरपूर लाभ उठाया. गुडलेंग्थ गेंदों पर स्विंग गायब थी और रही सही कसर विकेट के सपाट होने से पूरी हो गई. यही एजबेस्टन की खूबी है, जहां 270 से अधिक रनों का पीछा 15 मैचों में से केवल एक मौके पर सम्भव हो सका है और वह भी 90 के दशक में.
  
इससे पहले ऑस्ट्रेलिया की ओर से फिंच, स्मिथ और हैड ने हाफ सेंचुरी ज़रूर बनाई लेकिन बाकी बल्लेबाज़ों का उसे साथ नहीं मिल पाया जिससे ऑस्ट्रेलिया आज के समय के हिसाब से बड़ा स्कोर नहीं बना सका. सच तो यह है कि वुड और रशीद ने उसके बढ़ते कदमों पर बखूबी लगाम लगा दी.

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