नई दिल्ली : तीन दिन में तीसरा उलटफेर. इसे कहते हैं क्रिकेट का रोमांच. इसे कहते हैं क्रिकेट की अनिश्चतताएं. इसे कहते हैं दिलेरी से बल्लेबाज़ी. और इसे कहते हैं पलटवार. अपनी इन्हीं सब खूबियों से क्रिकेट का जादू हर तरफ बरकरार है. भारत में तो यह किसी धर्म से कम नहीं.
जी हां, ये सब बात हमें इसलिए कहनी पड़ रही हैं कि बांग्लादेश ने एक बड़ा उलटफेर करते हुए न सिर्फ न्यूज़ीलैंड को टूर्नामेंट से बाहर का रास्ता दिखा दिया, वहीं अपनी उम्मीदों को सेमीफाइनल के लिए भी ज़िंदा कर दिया. इससे पहले पाकिस्तान ने साउथ अफ्रीका को और श्रीलंका ने भारत को शिकस्त देकर उलटफेर किया था. बांग्लादेश ने साबित कर दिया कि अब वह केवल उलटफेर करने वाली टीम ही नहीं है, बल्कि लगातार अच्छा प्रदर्शन करना भी सीख गई है.
अब उसके भाग्य का फैसला दस जून को ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच एजबेस्टन, बर्मिंघम में होने वाले मैच के बाद होगा. अगर वह मैच इंग्लैंड जीत गई या मैच बारिश में धुला तो बांग्लादेश की टीम सेमीफाइनल में पहुंच जाएगी, जबकि ऑस्ट्रेलिया के जीतने पर उसकी सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा.
कहां तो अपना चौथा विकेट केवल 33 रन में खोने के बाद बांग्लादेश की हार की उम्मीदें लगाई जा रही थी और कहां पांचवें विकेट के लिए शाकिब और महमुदुल्लाह ने 34.5 ओवर में 224 रन की पार्टनरशिप करके हारा हुआ मैच जीता दिया. इन दोनों बल्लेबाज़ों ने चैम्पियन की तरह खेलते हुए सेंचुरी बनाई और वह भी ऐसे समय में जब उसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी और टीम पर टूर्नामेंट से बाहर होने का खतरा पैदा हो गया था.
बांग्लादेश ने पिछले दो साल में अपनी क्रिकेट को फर्श से अर्श तक पहुंचाया है. पिछले वर्ल्ड कप क्रिकेट में इंग्लैंड को हराकर इसी टीम ने क्वॉर्टर फाइनल में जगह बनाई थी और वर्ल्ड कप के बाद इस टीम ने पाकिस्तान को 3-0, भारत को 2-1 से, साउथ अफ्रीका को इसी अंतर से और ज़िम्बाब्वे को 3-0 से हराया और इसके बाद यह टीम पिछले साल एशिया कप के फाइनल में पहुंच गई. इस बार चैम्पियंस ट्रॉफी में उसकी टीम सेमीफाइनल मे पहुंच गई तो यह जीत उसके लिए एक और मील का पत्थर साबित होगी.
इस जीत से बांग्लादेश ने 2012 में मीरपुर में खेले उस मैच की याद भी ताज़ा करा दी, जिसमें वेस्टइंडीज़ के 217 के जवाब में बांग्लादेश ने एक समय 30 रन में तीन चोटी के खिलाड़ियों के विकेट खो दिए थे और उसके बाद धैर्य के साथ बल्लेबाज़ी करते हुए मैच अपने पक्ष में कर लिया था. इससे यह बात साबित हो गई कि इतिहास खुद को दोहराता है.
वहीं इसे न्यूज़ीलैंड की बदकिस्मती ही कहा जाएगा कि उसकी बोल्ट और साऊदी की ओपनिंग तेज़ गेंदबाज़ी कार्डिफ में किसी आतंक से कम नहीं थी, जहां सऊदी ने अपनी गेंदबाज़ी को स्विंग पर केंद्रित किया, वहीं बोल्ट ने स्विंग और बाउंस दोनों का अच्छा इस्तेमाल किया. दोनों का आतंक इस कदर हावी था नज़दीकी फील्डरों को बढ़ाकर दबाव डालने की कोशिश भी की गई.
गेंद पर उछाल होने के बावजूद गेंदबाज़ शॉर्ट पिच गेंदों से परहेज़ करते गए. ज़बरदस्त फॉरम में चल रहे तमीम इकबाल के स्विंग के सामने फंसते ही ऐसा लगने लगा कि पिच का जो स्वभाव सुबह था, वह शाम को बदल गया है. फिर साबिर रहमान गए और देखते ही देखते टीम के सबसे अटैकिंग बल्लेबाज़ सौम्य सरकार भी चलते बने. इन तीनों को साऊदी ने अपनी स्विंग से फंसाया. 12 वें ओवर तक न्यूज़ीलैंड ने चार विकेट खो दिए थे. इससे पहले न्यूज़ीलैंड की ओर से विलियम्सन और रॉस टेलर ने हाफ सेंचुरी ज़रूर बनाई लेकिन ये दोनों बल्लेबाज़ अकेले पड़ गए.