नई दिल्ली: पहले दनुश्का और मेंडिस और फिर परेरा, मैथ्यूज़ और गुणरत्ने ने शानदार बल्लेबाज़ी के साथ भारत का सेमीफाइनल में पहुंचने का इंतज़ार लम्बा कर दिया. चैम्पियंस ट्रॉफी में लगातार दूसरे दिन उलटफेर देखने को मिला और पिछले चैम्पियन भारत को गेंदबाजों और फील्डरों ने श्रीलंका के सामने घुटने टेकने को मज़बूर कर दिया. बुधवार को टूर्नामेंट की सबसे कमज़ोर रैंकिंग की टीम ने टॉप की टीम को शिकस्त दी.
अनुभवी और ढासू बल्लेबाज़ों की गैर मौजूदगी के बावजूद श्रीलंका ने चैम्पियंस ट्रॉफी में सबसे बड़ा रनों का लक्ष्य पार करके दिखा दिया कि उसकी युवा ब्रिगेड भी किसी से कम नहीं हैं. उसके ज्यादातर बल्लेबाज़ अंडर 19 में खेलकर उसकी टीम में आए हैं. अटैकिंग बल्लेबाज़ी उसका आकर्षण है. इस बार उसकी बल्लेबाज़ी की मैच्योरिटी भी सामने आई. 89 रन बनाने वाले कुशल मेंडिस मैन ऑफ द मैच रहे.
टीम इंडिया इस बार संतुलित नहीं दिखी. अगर उसकी बल्लेबाज़ी चली तो वहीं गेंदबाज़ों ने निराश कर दिया. यहां तक कि भारत का एक गेंदबाज़ कम पड़ गया. शुरू में फील्डिंग ठीक-ठाक थी तो वहीं बाद में उसने भी पीठ दिखा दी. इस जीत ने श्रीलंका के लिए ज़रूर जान फूंक दी और उसकी टूर्नामेंट से रुखसत होने की उम्मीदों को खत्म कर दिया. अब भारत और श्रीलंका के बराबर अंक हैं.
भारत को साउथ अफ्रीका से और श्रीलंका को पाकिस्तान से खेलना है. ये दोनों मैच क्वॉर्टर फाइनल से कम नहीं है जिसमें जो जीतेगा, उसीका सेमीफाइनल का टिकट कटेगा. श्रीलंका ने दिखा दिया कि अगर इरादे बुलंद हों तो किसी भी पहाड़ को लांघा जा सकता है. श्रीलंका के लिए अच्छी बात यह थी कि उसने अपने विकेट बचाकर अटैकिंग बल्लेबाज़ी की.
भारतीय गेंदबाज़ी में भुवनेश्वर को छोड़कर कोई भी गेंदबाज़ दिशा एवं लम्बाई पर कंट्रोल नहीं रख सका. जडेजा का बल्लेबाज़ को स्ट्रोक के लिए जगह देना भारत को महंगा साबित हुआ. पंड्या की गेंदबाज़ी को देखकर लगा कि वह वाकई पार्ट टाइम गेंदबाज़ हैं. उमेश और बुमराह अपनी गेंदबाज़ी की खूबियों से कोसों दूर रहे.
यही वजह है कि भारतीय गेंदबाज़ अपनी टीम के अच्छे स्कोर के बावजूद दबाव नहीं बना पाए. एंजेलो मैथ्यूज़ ने दिखा दिया कि उनका क्रीज़ पर रहना ही काफी है. वह न सिर्फ एक छोर पर टिककर रन गति को आगे बढ़ा सकते हैं बल्कि दूसरे छोर के बल्लेबाज़ को प्रेरित भी कर सकते हैं.
यह हालत तब है जबकि शिखर और रोहित ने भारत को लगातार दूसरे मैच में सेंचुरी पार्टनशिप के साथ धमाकेदार शुरुआत दिलाई. शिखर ने जहां बेहतरीन कट शॉट्स लगाकर सहवाग की याद ताज़ा कराई, वहीं स्ट्रोक्स के लिए उन्होंने बैकफुट पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित किया लेकिन वहीं सेंचुरी पूरी करने के बाद उनका ताबड़तोड़ अंदाज़ देखने को मिला। दूसरे छोर पर धोनी भी आक्रामक खेल रहे थे.
वहीं रोहित शर्मा शुरू से अटैकिंग खेले. उन्होंने खासकर परेरा और लकमल पर खुलकर स्ट्रोक लगाए. भारतीय पारी की अच्छी बात यह रही कि इस बार अगर अगर विराट नहीं चले तो इसकी भरपाई धोनी ने अटैकिंग बल्लेबाज़ी के साथ की. अगर साउथ अफ्रीका से भारत को 11 जून को कैनिंग्टन ओवल में मोर्चा फतह करना है तो उसे अपनी गेंदबाज़ी और फील्डिंग में खासे सुधार की ज़रूरत है.