नई दिल्ली: आप ज़िल्लत की सबसे बुरी परिभाषा ढूंढ लिजिए. आप हताशा का सबसे निचला स्तर भी खोज लिजिए. आप दुनिया की सारी शर्मों को मिलाकर एक जगह इकट्ठा कर लीजिए लेकिन सारी प्रतिमान, सारी परिभाषाएं सब पाकिस्तान की हार को बयां नहीं कर पाएंगी. पाकिस्तान बर्मिंघम में हारा नहीं है बल्कि अपनी तमाम नस्लों के लिए अफसोस का गट्ठर उठा लिया है.
टीम इंडिया के खिलाफ खेले गए मुकाबले में भारत ने पाकिस्तान को 124 रनों से हरा दिया. इस मैच में भारत ने कई कीर्तिमान भी स्थापित किए. 124 रन की जीत चैम्पियंस ट्रॉफी इतिहास में भारत की सबसे बड़ी जीत है. इसके साथ ही चैम्पियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान सबसे ज्यादा 12 मैच हारने वाली टीम है.
इकलौती टीम
चैम्पियंस ट्रॉफी में भारत सर्वाधिक 16 मैच जीतने वाली दुनिया की इकलौती टीम है. इसके अलावा आईसीसी टूर्नामेंट में भारत के खिलाफ ये पाकिस्तान की लगातार 7वीं हार है और ये सिलसिला 2011 से शुरू हुआ है.
हिंदुस्तान की जीत पर पाकिस्तान में लोगों ने अपनी ही क्रिकेट टीम का मर्सिया पढ़ दिया. पाकिस्तान की गली गली में पाकिस्तानी टीम की बेइज्जतियों का जनाजा धूम से निकल रहा है. ये पाकिस्तान की युवा टीम है जिससे उन्हें भविष्य में इज्जत और ट्रॉफी की उम्मीदें थीं.
इस मैच में जिस 18 साल के शादाब खान में पाकिस्तान को शेन वार्न की झलक आती थी वो बिचारा अभी तक सदमे में हैं. बाबर आजम, अहमद शहजाद, इमाद वसीम, हसन अली ये सारे चेहरे पाकिस्तान की उम्मीदें थीं लेकिन इतनी बुरी तरह हारने के बाद अब ये चेहरे स्याह पड़ते जा रहे हैं.
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच महज खेल नहीं होता बल्कि जंग का मैदान होती है. पाकिस्तानी क्रिकेट पहले ही बर्बाद है और अब बर्मिंघम की ये हार उसे अगली कई पीढ़ियों तक फलने फूलने नहीं देगी.
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