नई दिल्ली: साउथ अफ्रीका ने दिखा दिया कि वह दुनिया की नम्बर एक टीम क्यों है. श्रीलंका के खिलाफ उसकी रणनीति निर्णायक रही और डिविलियर्स का हर दांव सोलह आने सही साबित हुआ. उन्होंने जब-जब बॉलिंग में परिवर्तन किया, उसके अच्छे परिणाम देखने को मिले. खासकर शुरू में पारी को धैर्य के साथ जमाना, फिर बीच के ओवर में उसे संवारना और कमज़ोर गेंदों पर प्रहार करना उसकी रणनीति का हिस्सा रहे.
वहीं श्रीलंका इसी क्षेत्र में पिछड़ गया. अपनी ताबड़तोड़ शुरुआत को वह बरकरार नहीं रख पाया और निरंतर अंतराल में उसके विकेटों का गिरने से उसके बल्लेबाज़ों पर दबाव आ गया. दुनिया के नम्बर दो गेंदबाज़ लेग स्पिनर इमरान ताहिर उसके लिए तुरूप का इक्का साबित हुए. उन्होंने न सिर्फ रनों पर नियंत्रण लगाया बल्कि अपनी विविधतापूर्ण गेंदबाज़ी से श्रीलंका के बढ़ते कदमों पर लगाम लगा दिया.
दूसरे स्पेल में आए पार्नेल ने उनका बखूबी साथ निभाया और रन न बनने से श्रीलंका के बल्लेबाज़ दबाव में आ गए और वे हताशा में अपने विकेट गंवाते चले गए और साउथ अफ्रीका, जो एक समय पिछड़ता दिख रहा था, मैच में लौट आया और फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
दक्षिण अफ्रीका ने जहां पारी को संयम के साथ जमाया, वहीं श्रीलंका को ताबड़तोड़ शुरुआत के बाद चार विकेट खोने पर रक्षात्मक रुख अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा। पारी का 18वां ओवर मैच का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ, जिसमें न सिर्फ चंडीमल और कुपूगेदरा के विकेट गिरे बल्कि श्रीलंका के तेज़ी से बनते रनों पर भी लगाम लग गया.
आलम यह था कि दोनों टीमों के 15 ओवर के स्कोर में दुगने का अंतर था. यानी 15 ओवर तक मैच पूरी तरह से श्रीलंका के हाथ में था लेकिन 18वें ओवर के बाद से सारी कहानी बदल गई. हालांकि इमरान ताहिर को ज़्यादा टर्न नहीं मिला लेकिन उनकी गेंदबाज़ी पर श्रीलंका के बल्लेबाज़ सहम कर रह गए. वे बल्लेबाज़ जो कभी स्पिन को बखूबी खेला करते थे.
इससे पहले हाशिम अमला ने धीमी शुरुआत के बावजूद शानदार सेंचुरी बनाई. यह सूझबूझ से भरी पारी थी क्योंकि पारी की शुरुआत के बाद 43वें ओवर में आउट होना यही दिखाता है कि उन्होंने इस पारी में बेहद धैर्य का परिचय दिया और डू प्लेसी के साथ सेंचुरी पार्टनरशिप करके मैच को रोमांचक बना दिया. डू प्लेसी ने रन गति को आगे बढ़ाया और पारी के आखिरी ओवरों में डुमिनी पारी को चौथे गेर पर ले गए.
श्रीलंका की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि उसके पास पीछे तक बल्लेबाज़ी नहीं है. यही टीम इसी साल साउथ अफ्रीका से पांच मैचों की सीरीज़ में व्हाइटवॉश की शिकार हुई थी. अपने स्टार ऑलराउंडर एंजेलो मैथ्यूज़ की कमी भी उसे खूब खली. अगर श्रीलंका की टीम इसी तरह की ग़लतियां करती रही तो उसके गेंदबाज़ों की मेहनत पर ऐसे ही पानी फिरता रहेगा और उसके लिए अपनी छठे नम्बर की रैंकिंग को बचा पाना भी मुश्किल हो जाएगा.
अब दुनिया भर को इंतज़ार है संडे को सुपरसंडे बनने का. इस दिन भारत और पाकिस्तान की टीमें एजबेस्टन, बर्मिंघम में आमने-सामने होंगी.