नई दिल्ली: शहरी विकास और सूचना एवं प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू का पसंदीदा खेल कबड्ड़ी है और उन्हें कुश्ती सहित अपनी ज़मीन से जुड़े तमाम खेल ही पसंद है. उनका मानना है कि जिस दिन निचले स्तर पर प्रसासनीक संस्थायें खेलों के विकास में रूचि लेने लग जाएंगी, उस दिन से खेलों में अच्छे परिणाम आने लगेंगे. उन्होंने कहा कि ऐसा कई राज्य में हुआ भी है.
वैंकया ने खेल मेले के उद्घाटन के बाद ‘इन खब़र’ से बातचीत में बताया कि केंद्र सरकार का काम संसाधन अथवा पैसा मुहैया कराना है. उस पैसे का उपयोग पंचायत और ज़िलास्तर पर सूचारू तरीके से हो, यह जिम्मेदारी राज्य सरकार की है.
इन योजनाओं को लागू करने का काम राज्य सरकार का है. जब उनसे पूछा गया कि बतौर शहरी विकास मंत्री पार्क बनाने में उन्होंने अच्छी खासी रूचि ली है लेकिन मैदान या स्टेडियम का निर्माण कहीं न कहीं हाशिये पर छूट गया है.
इस पर वैंकया ने कहा की जितने शहरों में पार्क जरूरी है, उतने हीस्टेडियमों का निर्माण भी जरूरी है. कुछ इलाकों में तो उन्होंने पहलवानों के लिए अंतराष्ट्रीय मैट की सुविधा भी मुहैया कराई है लेकिन फिर भी उन्हें लगता है कि पंचायत या जिलास्तर पर और मैदान बनने चाहिए. जो मैदान पहले से है, वह सुविधाएं बढ़ाने के लिए स्थानीय संगठनों को आगे आना होगा.
खिलाड़ी के प्रेरित किये जाने के सवाल पर उन्हों ने कहा कि वाजपेयी की सरकार के समय दारा सिंह को राज्य सभा के लिए नॉमिनेट किया गया था. मोदी भाई के सरकार ने मेरीकॉम को नॉमिनेट किया. इससे बाकी खिलाड़ियों को बढ़िया प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिलती है. उसके अलावा दूरदर्शन का खेल मेला भी इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है.
आमिर खान की फिल्मदंगल ने भी काफी प्रभावित किया है. उसका समाज पर काफी सकारात्मक असर हुआ है. इससे हमारे बेटी बचाओ अभियान को भी पंख लग गए हैं. हमें इससे बेटी खिलाओ योजनाओं को बल मिला है. वैंकया नायडू का कहना है कि सरकार देसी खेलों के लिए मदद कर रही है.
इस काम में तेज़ी तभी आयेगी जब नगर निगम या जिलास्तर पर योजनाओं को अंतिम रूप दिया जा सके. इस स्तर पर कई राज्यों में अच्छा काम हुआ है. इसके अलावा जनता की भागीदारी भी बहुत जरूरी है. प्रधानमंत्री भी ऐसा चाहते हैं. बेटी बचाओ औरस्वच्छता मिशन सभी की भागीदारी के बिना संभव नहीं है.