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ताशकंद में घायल मुक्केबाजों को नहीं मिला इलाज, गंवाना पड़ा गोल्ड

नई दिल्ली :  करे कोई, भरे कोई….यह बात ताशकंद में हुई एशियाई बॉक्सिंग चैम्पियनशिप पर पूरी तरह सटीक बैठती है, जहां भारत के बेंटमवेट के बॉक्सर शिवा थापा को अपने फाइनल मुक़ाबले के दौरान इंजरी का शिकार होना पड़ा. इतना ही नहीं, टीम के साथ किसी डॉक्टर को न भेजा जाना उन्हें काफी महंगा साबित हुआ.
दरअसल, शिवा थापा का फाइनल में मुक़ाबला उज्बेकिस्तान के एलनूर अब्दुरामोव से हुआ, जो वर्ल्ड चैम्पियनशिप के ब्रॉन्ज़ मेडलिस्ट थे. मुक़ाबले के दौरान शिवा को एक कट आंख के नीचे लगा, जिससे वह दर्द से कराह उठे. मगर उनका उपचार करने के लिए उस समय कोई भारतीय डॉक्टर मौजूद नहीं था. आखिरकार भारतीय टीम प्रबंधन को स्थानीय डॉक्टर की सेवाएं लेनी पड़ीं लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. शिवा थापा को अपना गोल्ड गंवाना पड़ गया. टीम के एक सदस्य ने कहा कि यदि डॉक्टर टीम के साथ होता तो हर मुक्केबाज़ का हौसला सातवें आसमान पर होता और वह ज़्यादा अटैकिंग होकर लड़ता। शिवा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।.
पेचीदा है प्रक्रिया
यह हालत तब है जब भारतीय खेल प्राधिकरण टीम प्रबंधन की मांग पर डॉक्टर मुहैया कराती है लेकिन टीम प्रबंधन का कहना है कि डॉक्टर लेने के लिए कई पेचीदगियां हैं इसलिए विदेश में किसी चैम्पियनशिप के लिए वीज़ा मिलना और समय पर पहुंचना ज़्यादा अहम होता है. वैसे इससे पहले भी इस समस्या से मुक्केबाज़ों को रूबरू होना पड़ा है. यहां तक कि एक प्रतियोगिता में विकास कृष्ण को इसी समस्या से जूझना पड़ा था. तब भी हो हल्ला हुआ, मगर हालात ज्यों के त्यों रहे.
हर राज्य को देंगे डॉक्टर
जब इस बारे में बॉक्सिंग इंडिया के महासचिव जय कोली से पूछा गया तो उनका कहना है कि अभी उनकी संस्था को बने छह महीने ही हुए हैं और हम इस समस्या पर युद्ध स्तर पर ध्यान दे रहे हैं. जुलाई में हम एक मेडिकल सेमिनार आयोजित कर रहे हैं जिसमें अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग संस्था (एआईबीए) के अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हमारी योजना हर राज्य में डॉक्टर मुहैया कराने की है.
शिव थापा नहीं हैं निराश
वहीं शिव थापा ने वही कहा जो आम तौर पर खिलाड़ी अपने आगे के करियर को ध्यान में रखते हुए कहता है. उन्होंने कहा कि हमारे अध्यक्ष अजय सिंह खिलाड़ियों की काफी मदद करते हैं और हमारी समस्या को दूर करने की कोशिश करते हैं. उन्हें विश्वास है कि ऐसी समस्या का हल कर लिया जाएगा. अपने टांकों के बारे में उन्होंने कहा कि वह अब पहले से बेहतर हैं. उनके टांके भी उतर गए हैं और वह जल्द ही आगे के लिए अभ्यास शुरू करने वाले हैं.
सात मुक्केबाज़ क्वॉलीफाई
इस चैम्पियनशिप में भारत के सात मुक्केबाज़ों ने वर्ल्ड चैम्पियनशिप के लिए क्वॉलीफाई किया है. शिव थापा और सुमित सांगवान को इस प्रतियोगिता में सिल्वर और विकास कृष्ण, अमित और सतीश कुमार को कांस्य पदक हासिल हुए. इन पांचों के अलावा मनोज कुमार और कविंद्र सिंह बिष्ट ने भी अगस्त-सितम्बर में जर्मनी में होने वाली वर्ल्ड चैम्पियनशिप में अपनी जगह पक्की कर ली.
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