नई दिल्ली: भारतीय बैडमिंटन के लिए शनिवार का दिन स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा. इस दिन सिंगापुर सुपर सीरीज़ के फाइनल में दो भारतीयों को पहुंचने का अवसर मिला. बी.साई प्रणीत और किदाम्बी श्रीकांत ने वह कर दिखाया, जो उनसे पहले चीन, इंडोनेशिया और डेनमार्क के खिलाड़ी ही कर पाए थे. अब इन दोनों में से किसका संडे सुपर-संडे होगा, देखना दिलचस्प होगा.
दिग्गजों को हराया
अच्छी बात यह है कि दोनों भारतीयों ने धाकड़ प्रतिद्वंद्वियों को हराकर यह कमाल किया है. प्रणीत ने जिन कोरियाई खिलाड़ी ली डोंग क्यून को एकतरफा मुक़ाबले में हराया है, वह तीन बार के कोरियाई मास्टर्स ग्रां प्री विजेता हैं जबकि श्रीकांत से हारने वाले इंडोनेशियाई खिलाड़ी एंथनी सिनिसुक न सिर्फ यूथ ओलिम्पिक के कांस्य पदक विजेता थे, बल्कि वह अपने करियर के तीसरे सुपर सीरीज़ फाइनल खेलने के करीब थे.
प्रणीत का पलड़ा भारी
अब इन दोनों दिग्गजों में से मौजूदा फॉर्म को देखते हुए प्रणीत का पलड़ा भारी नज़र आता है क्योंकि न सिर्फ वह शानदार फॉर्म में हैं बल्कि अपने करियर में वह कई दिग्गजों को हरा चुके हैं. इस साल जनवरी में सैयद मोदी ग्रां प्री के फाइनल में पहुंचकर उन्होंने अपनी शानदार फॉर्म का परिचय दिया था. वहीं श्रीकांत इंडिया ओपन के पहले राउंड में हार गए थे.
उलटफेर में माहिर
दुनिया के दिग्गज खिलाड़ियों को हराने के मामले में दोनों का रिकॉर्ड अच्छा रहा है. प्रणीत ने जहां पूर्व ऑल इंग्लैंड चैम्पियन मोहम्मद हफीज़ को हराने के अलावा पूर्व वर्ल्ड और ओलिम्पिक चैम्पियन मलयेशिया के तौफीक हिदायत और वर्ल्ड नम्बर वन मलयेशिया के ही ली चांग वेई को हराकर बड़े उलटफेर किए हैं, वहीं श्रीकांत ने दो बार के ओलिम्पिक चैम्पियन चीन के लिन डान को एक मुक़ाबले में हराकर सनसनी फैला दी थी. तब वह इस जीत के साथ सुपर सीरीज़ जीतने वाले भारत के पहले खिलाड़ी साबित हुए.
प्रणीत ने 2014 में चाइना ओपन सुपर सीरीज़ प्रीमियर खिताब जीता और फिर इससे अगले वर्ष इंडिया सुपर सीरीज़ खिताब अपने नाम किया और रियो ओलिम्पिक में उन्होंने अपनी चुनौती क्वॉर्टर फाइनल तक रखी.
श्रीकांत के पक्ष में फिटनेस
श्रींकांत के पक्ष में उनकी फिटनेस है. इसी की बदौलत सेमीफाइनल में एक समय पांच अंकों से पिछड़ने के बावजूद उन्होंने बाज़ी पलट दी. उनके साथ दिक्कत यह है कि उनका प्रदर्शन एक सा नहीं रहता. बहुत जल्दी-जल्दी उनके प्रदर्शन में उतार चढ़ाव आते हैं. पिछले टूर्नामेंट में वह हारते हैं तो उससे अगले ही टूर्नामेंट में वह फाइनल में अपनी धाकड़ एंट्री दर्ज करते हैं. वहीं प्रणीत हाल ही में अपने कंधे की इंजरी से लौटे हैं.
अलग-अलग तकनीक
जहां तक कि दोनों के तकनीकी पक्ष का सवाल है, प्रणीत की खूबी उनके सूझबूझ से भरे रिटर्न शॉट हैं. उनका फुटवर्क बेहतरीन है. वह बेसलाइन पर जितने संयम से खेलते हैं, उतने ही नेट पर ड्रॉप शॉट्स में भी किसी से पीछे नहीं हैं. बीच-बीच में उनके हाफ स्मैश उनकी ताक़त हैं. वहीं श्रीकांत लम्बी लम्बी रैलियों से विपक्षी को थकाकर हराने में विश्वास रखते हैं. मौके पर अपने गेम को पांचवें गेयर पर ले जाना उनकी सबसे बड़ी खूबी है. क्या वह लगातार फॉर्म में चल रहे खिलाड़ी के खिलाफ वह कर पाएंगे जो उन्होंने पहला सुपर सीरीज़ खिताब जीतकर हासिल किया था, इसके जवाब के लिए बैंडमिंटन प्रेमियों को रविवार को होने वाले इनके फाइनल तक का इंतज़ार करना होगा.