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खूब याद आएंगे मिस्बा-उल-हक़ और यूनिस खान

नई दिल्ली: पाकिस्तान का अब तक का सबसे सफल कप्तान मिस्बाह-उल-हक़ और आधुनिक युग के महान बल्लेबाज़ों में से एक यूनिस खान 21 अप्रैल से शुरू हो रही सीरीज़ के बाद टेस्ट क्रिकेट में नहीं दिखाई देंगे. यह न सिर्फ पाकिस्तान के लिए बल्कि विश्व क्रिकेट के लिए भी बड़ा झटका होगा.
इनमें मिस्बा की रिटायरमेंट की बात समझ में आती है. उनकी बढ़ती उम्र और ऊपर से खराब होती फॉर्म. यही वजह है कि मिस्बा पिछली नौ टेस्ट पारियों में एक भी हाफ सेंचुरी नहीं लगा पाए हैं और न ही पिछली 21 पारियों में उनके नाम एक भी सेंचुरी है लेकिन यूनिस ने तो पिछले ही मैच में 175 रन की नॉटआउट पारी खेली है लेकिन एक सच यह है कि वह भी 40 साल के हो गए हैं. इन दोनों में एक कॉमन बात यह है कि दोनों अपने आखिरी मैचों में पाकिस्तान की हार को नहीं टाल पाए जिससे उनकी टीम को लगातार छह टेस्टों में हार का सामना करना पड़ा.
पिछले टेस्ट में सेंचुरी
टेस्ट में 34 सेंचुरी बनाने वाले यूनिस खान दस हज़ार रन के बेहद करीब हैं और 115 टेस्टों का लम्बा अनुभव उनके पास है. वह अपनी टीम के सबसे भरोसे के खिलाड़ी साबित हुए हैं. वह स्पिन का सामना करने वाले दुनिया के धुरंधर बल्लेबाज़ों में से एक हैं. फ्लिक उनका ट्रेडमार्क शॉट है लेकिन वह जब लय में होते हैं तो क्रिकेट का हर शॉट उनके बल्ले से सहज ही निकलता है. इनकी शानदार बल्लेबाज़ी ने इंग्लैंड का व्हाइटवॉश करने में अहम भूमिका निभाई.
बल्ले पर थोड़ा नीचे से ग्रिप बनाकर नफासत के साथ लगाए उनके शॉट्स देखने में काफी अच्छे लगते हैं. 2005 के उस बैंगलुरु टेस्ट को भला कौन भूल सकता है जिसमें पहली पारी में डबल सेंचुरी और दूसरी पारी में 84 रन की नॉटआउट पारी खेलकर उन्होंने पाकिस्तान को आसान जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. नम्बर तीन पर ठोस बल्लेबाज़ी करके वह टीम को मज़बूत आधार दिया करते थे.
रक्षात्मक कप्तान
वहीं मिस्बा-उल-हक़ की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह बेहद ठंडे दिमाग से खेलते हैं. उन पर बतौर कप्तान बेहद रक्षात्मक सोच अपनाने का आरोप लगता रहा है. इसके बावजूद वह टीम के सबसे सफल कप्तान हैं. उनकी कप्तानी में पाकिस्तान ने 23 टेस्टों में जीत हासिल की है. साउथ अफ्रीका को साउथ अफ्रीका में हराने वाली पाकिस्तान टीम के कप्तान होने का श्रेय उनके नाम दर्ज है और ऐसा करने वाले वह अकेले एशियाई कप्तान हैं.
इतना ही नहीं, वह जैफरी बायकॉट के बाद 41 की उम्र में सेंचुरी बनाने वाले दूसरे खिलाड़ी हैं. भारत को छोड़कर बाकी देशों के खिलाफ उन्होंने जो आठ सेंचुरी लगाईं, उनमें उनकी टीम जीती. हालांकि अपने ट्रेडमार्क शॉट दिलस्कूप से उन्होंने वनडे और टेस्ट की पारियों में तेज़ी से रन बनाए लेकिन इस शॉट को वह शायद ही याद रखना चाहेंगे क्योंकि ऐसे ही एक शॉट पर भारत को पहला टी-20 वर्ल्ड कप चैम्पियन बनने का अवसर मिल गया था.
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