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सितंबर के मुकाबले के लिए लिएंडर पेस को अभी से ही बाहर करने की तैयारी

लगता है कि डेविस कप की मौजूदा व्यवस्था ने लिएंडर पेस को हाशिये पर बनाए रखने का मन बना लिया है. तभी तो महेश भूपति से लेकर कई पूर्व खिलाड़ी खुलकर पेस के खिलाफ खड़े हो गए हैं और उज्बेकिस्तान के खिलाफ मिली जीत का सेहरा भूपति के सिर पर बांधने की कोशिश की जा रही है.

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  • April 12, 2017 4:10 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली : लगता है कि डेविस कप की मौजूदा व्यवस्था ने लिएंडर पेस को हाशिये पर बनाए रखने का मन बना लिया है. तभी तो महेश भूपति से लेकर कई पूर्व खिलाड़ी खुलकर पेस के खिलाफ खड़े हो गए हैं और उज्बेकिस्तान के खिलाफ मिली जीत का सेहरा भूपति के सिर पर बांधने की कोशिश की जा रही है.
 
AITA के इशारे पर  
 
महेश भूपति बैंगलूरु में उज्बेकिस्तान के खिलाफ जीत के बाद कह चुके हैं कि सितम्बर में कनाडा के खिलाफ होने वाले प्ले ऑफ मैच में वह बोपन्ना को ही तरजीह देंगे. शायद वह भूल गए हैं कि इस मुक़ाबले से पहले विम्बलडन और फ्रेंच ओपन के अलावा तमाम अहम टूर्नामेंट होंगे, जहां फिटनेस और फॉcर्म काफी मायने रखेगी. साथ ही वह यह भी भूल गए हैं कि प्लेऑफ में पहुंची 16 टीमों में भारत ही एकमात्र ऐसी टीम है जिसके सिंगल्स के एक भी खिलाड़ी की रैंकिंग 200 के अंदर नहीं है. ऐसी स्थिति में पांच महीने पहले ही पेस को दरकिनार करने का संकेत देकर यह साबित हो गया है कि या तो भूपति पूर्वाग्रहों से ग्रसित हैं या वह एआईटीए के इशारे पर ऐसा कर रहे हैं.
 
जयदीप मुखर्जी की मदद
 
विश्वस्त सूत्रों से यह भी पता चला है कि भूपति मीडिया के एक वर्ग से उन दिग्गजों को मिलवा रहे हैं जिनकी ट्यूनिंग पेस के साथ अच्छी नहीं रही. इस कड़ी में उन्होंने सबसे पहले पूर्व डेविस कप खिलाड़ी और पूर्व नॉन प्लेइंग कैप्टन जयदीप मुखर्जी की मदद ली. जयदीप ने 1998 की उस घटना का ज़िक्र किया, जिसमे उन्होंने इटली के खिलाफ वर्ल्ड ग्रुप मैच से पहले पेस के इंजरी की वजह से टीम से हटने का हवाला दिया.
 
उस समय वह टीम के नॉन प्लेइंग कैप्टेन थे. उन्होंने कहा कि पेस के खेलने की स्थिति में भारत के उस मैच में खेलने के अच्छे अवसर थे जबकि पेस डेविस कप मुक़ाबला खत्म होते ही चेन्नई ओपन में खेलने चले गए, जहां वह क्वॉर्टर फाइनल तक पहुंचे। विजय अमृतराज ने इस विवाद पर बोलने से बचने की कोशिश की लेकिन भूपति को इस जीत की बधाई दी. 
 
डेनियल नेस्टर आकर्षण 
 
बहरहाल यदि कनाडा के खिलाफ पेस को खेलने का मौका मिलता है तो उनके सामने ग्रैंड स्लैम में आठ बार के पुरुष डबल्स विजेता और छह बार के मिक्स्ड डबल्स विजेता डेनियल नेस्टर होंगे. यह बाएं हाथ का खिलाड़ी पेस से उम्र में एक साल बड़ा है और पेस का रिकॉर्ड भी उनके खिलाफ बेहतर रहा है. उस स्थिति में दुनिया भर की नज़रें इस मुक़ाबले पर टिकी रहेंगी.
 
डेविस कप में पहली बार 
 
डेविस कप में भारत और कनाडा के बीच यह पहला मुक़ाबला है. हालांकि बाकी टीमों को देखते हुए भारत का ड्रॉ अच्छा है. इस टीम का मुख्य आकर्षण वर्ल्ड नम्बर छह मिलोस राओनिक हैं. इस छह फुट पांच इंच लम्बे खिलाड़ी ने दो साल पहले विम्बलडन का फाइनल खेला था. इस साल फरवरी में जांघ की मासपेशियों में खिंचाव की वजह से वह ब्रिटेन के खिलाफ नहीं खेल पाए थे. यदि वह फिट नहीं होते तो उनकी जगह लेने के लिए पोस्पिसिल और पीटर पोलांस्की मौजूद हैं.
 
पेस-बोपन्ना क्यों नहीं ?
 
यह वक्त है डेविस कप में कनाडा को हराकर आगे बढ़ने का। आखिर भूपति 3 + 1 की पिछली रणनीति पर ही क्यों डटे रहना चाहते हैं। पेस और बोपन्ना देश की खातिर एक साथ क्यों नहीं खेल सकते। दोनों ने एक साथ पांच में से तीन डेविस कप मैच जीते हैं। दोनों ने कुछ साल पहले सर्बियाई जोड़ी को पांच सेट तक चले मुक़ाबले में हराया था। आदर्श स्थिति यही है कि ये दोनों डबल्स में खेलें और साकेत को डबल्स में स्टैंडबाई रखा जाए। बाकी कॉम्बिनेशन के लिए भूपति समझदार हैं।
 

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