नई दिल्ली: आखिरकार टेनिस के ऑलटाइम ग्रेट खिलाड़ी लिएंडर पेस को सम्मानपूर्वक विदाई नहीं दी जा सकी और न ही उन्हें इटली के निकोला पीटरानगेली का डेविस कप में 42 जीत का रिकॉर्ड तोड़ने का ही मौका मिल पाया. नॉन प्लेइंग कैप्टन महेश भूपति ने युवा खिलाड़ियों को खिलाने के नाम पर एक ऐसी गुगली फेंकी कि जिसमें पेस और बोपन्ना दोनों को ही रिज़र्व खिलाड़ियों में रख दिया गया. खबर तो यहां तक है कि केवल भूपति ही नहीं, एआईटीए के अध्यक्ष अनिल खन्ना भी पेस को टीम में रखने के पक्ष में नहीं थे.
मिस्टर क्लीन
भूपति और बोपन्ना की नज़दीकियों से हर कोई वाकिफ है. उन्होंने न सिर्फ पेस को टीम से बाहर का रास्ता दिखाया बल्कि बोपन्ना को भी बाहर बिठाकर विवादों से बचने की कोशिश की. यह हालत तब है जबकि भारतीय टीम के पास पेस और बोपन्ना के आस-पास का एक भी खिलाड़ी नहीं है।. इन दोनों का अलग-अलग पार्टनर के साथ शानदार प्रदर्शन रहा है. क्या दोनों को देश की खातिर एक मौका नहीं दिया जा सकता था.
देश के लिए तो पेस और भूपति भी अपने तमाम गिले शिकवे भुलाकर कई मौकों पर एक साथ खेल चुके हैं. अगर टीम के पास डबल्स की उभरती जोड़ी होती तो भी बात समझ में आती. अब डेविस कप टीम को श्रीराम बालाजी और रामकुमार रामनाथन की उस जोड़ी से काम चलाना पड़ेगा, जिनके पास डबल्स का अनुभव बेहद कम है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तो दोनों अभी तक नौसिखिए ही साबित हुए हैं. दोनों की डबल्स रैंकिंग 300 से भी नीचे है.
आत्मसमर्पण
आपसी विवादों के चलते एक तरह से भूपति ने उज्बेकिस्तान के खिलाफ होने वाले डेविस कप एशिया ओशिनिया ग्रुप एक के दूसरे राउंड के मुक़ाबले के लिए आत्मसमर्पण कर दिया है क्योंकि डबल्स भारत की ताक़त थी. सिंगल्स में रामकुमार रामनाथन और युकी भाम्ब्री रैंकिंग और तजुर्बे में डेनिस इस्टोमिन और फारूख दुस्तोव के मुक़ाबले कहीं पीछे हैं लेकिन क्या बिना लड़े इस तरह से हथियार डालना उचित है. क्या भूपति सहित टीम प्रबंधन के इस फैसले में इनके आपसी विवाद की बू नहीं आ रही.
AITA का रवैया
इसमें कोई शक़ नहीं कि एक खिलाड़ी को एक निश्चित समय तक ही खेलना चाहिए और वैसे भी कोई खिलाड़ी अपनी स्वेच्छा से बाहर नहीं बैठना चाहता. ऐसे में ऑल इंडिया टेनिस संघ को आगे आना चाहिए और ऐसे खिलाड़ी से बात करके इस समस्या का कोई हल ढूंढना चाहिए. एआईटीए यह कहकर इस पूरे मामले से अपना पिंड नहीं छुड़ा सकता कि टीम प्रबंधन का फैसला अंतिम है और वह भी खासकर तब जबकि टीम के नॉन प्लेइंग कैप्टेन के संबंध टीम के सबसे वरिष्ठ खिलाड़ी के साथ काफी तल्ख रहे हों. आरोप तो यह भी है कि पेस ने एक डेविस कप मैच में एआईटीए से बात करके भूपति को बाहर बिठा दिया था.
आदर्श डबल्स जोड़ी कौन ?
दोनों की ओर से आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे हैं लेकिन एक सच यह भी है कि एआईटीए डेविस कप के लिए आदर्श डबल्स जोड़ी को देश भर से अभी तक तैयार नहीं कर सका है और वह टीम प्रबंधन को अधिक पॉवर देकर एक तरह से अपनी कमज़ोरी छुपा रहा है. इतना ही नहीं, पिछले महीने जब भूपति ने पेस को टीम से बाहर रखने के संकेत दिए थे तो एआईटीए को उस समय चुप नहीं रहना चाहिए था.
वहीं टीम प्रबंधन अभी से यह मानकर चल रहा कि वह उज्बेकिस्तान के खिलाफ मुक़ाबले में नहीं जीत पाएगा तो कम से कम लिएंडर पेस जैसे ऑल टाइम ग्रेट खिलाड़ी के लम्बे अनुभव को देखते हुए उसे डेविस कप में 43वीं जीत दर्ज करके रिकॉर्ड बनाने का मौका ज़रूर देना चाहिए था और उसके बाद एआईटीए उनकी सम्मानजनक विदाई की तैयारी कर सकता था लेकिन बिना बताए एक महान खिलाड़ी को हाशिये पर धकेलने को किसी भी तरीके से वाजिब नहीं ठहराया जा सकता.