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डेविस कप में बदलाव के लिए चार प्रस्ताव, भारतीय खिलाड़ियों को हो सकती है दिक्कत

डेविस कप को और आकर्षक बनाने के लिए इंटरनैशनल टेनिस फेडरेशन (आईटीएफ) ने कमर कस ली है. उसने इस टूर्नामेंट की गरिमा को बनाए रखने के लिए इसमें कई क्रांतिकारी बदलाव करने के लिए चार बड़े प्रस्ताव रखे हैं.

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  • March 17, 2017 3:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली : डेविस कप को और आकर्षक बनाने के लिए इंटरनैशनल टेनिस फेडरेशन (आईटीएफ) ने कमर कस ली है. उसने इस टूर्नामेंट की गरिमा को बनाए रखने के लिए इसमें कई क्रांतिकारी बदलाव करने के लिए चार बड़े प्रस्ताव रखे हैं.
 
चार सुझाव  
‘इन खबर’ को सूत्रों से मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के अनुसार आईटीएफ ने डेविस कप मैचों को बेस्ट ऑफ फाइव की जगह बेस्ट ऑफ थ्री फॉर्मेट में आयोजित करने का प्रस्ताव रखा है. दूसरे सुझाव में डेविस कप को तीन के बजाय दो दिन में पूरा करने का प्रस्ताव है. 
 
तीसरा प्रस्ताव इन मैचों को न्यूट्रल वैन्यू पर आयोजित करने को लेकर है और चौथे प्रस्ताव में इस टूर्नामेंट में रोमांच बनाए रखने के लिए इसे दो साल में एक बार आयोजित करने का सुझाव दिया गया है.
 
दो दिन में हो खत्म   
डेविस कप के मैच दुनिया भर में शुक्रवार से रविवार तक चलते हैं. पहले दिन दो सिंगल्स मैच खेले जाते हैं. शनिवार को एक डबल्स मैच आयोजित किया जाता है. तीसरे और अंतिम दिन दो रिवर्स सिंगल्स मैच होते हैं. 
 
अंतरराष्ट्रीय टेनिस के बेहद व्यस्त कार्यक्रम की वजह से इन मैचों को दो दिन में समाप्त करने की मांग काफी समय से की जा रही थी लेकिन आईटीएफ शुरू से इस टूर्नामेंट के मूल स्वरूप में बदलाव करने के पक्ष में नहीं था लेकिन अब उसके अध्यक्ष डेविड हैगर्टी ने ऐसे तमाम बुनियादी बदलावों को हरी झंडी दे दी है. 
 
दिग्गजों के लिए अवसर
इतना ही नहीं, इन मैचों को दो दिन में आयोजित करने के सुझाव का एसोसिएशन टेनिस प्रोफेशनल्स प्लेयर्स काउंसिल ने समर्थन किया है. उनका मानना है कि डेविस कप के ये बदलाव खेल को और आकर्षक बनाएंगे. साथ ही जो दिग्गज खिलाड़ी व्यस्तता की वजह से इसमें भाग नहीं ले पाते, वे भी इसमें भाग लेने के लिए वक्त निकाल लेंगे.
 
 
आपको याद होगा कि एंडी मरे ने जब दो साल पहले डेविस कप में इंग्लैंड की ओर से भाग लिया तो उनकी टीम चैम्पियन बन गई. यही स्थिति इस साल अर्जेंटीनी टीम में देखने को मिली. पिछले साल जुआन मार्टिन डेल पोट्रो की अगुवाई में यह टीम डेविस कप का खिताब जीतने में कामयाब रही लेकिन आईटीएफ को लगता है कि ज्यादातर मौकों पर स्टार खिलाड़ियों के न खेलने से परिणाम पलट जाते हैं और यह टूर्नामेंट भी अपना आकर्षण खो बैठता है.
 
भारत का दिया गया उदाहरण 
लम्बे समय तक मैच के चलने से कई बार बड़े खिलाड़ी खासकर विपरीत हालात में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते जिससे कई उलटफेर देखने को मिलते हैं. याद कीजिए, 1995 में खेला गया डेविस कप का वह मैच, जिसमें लिएंडर पेस ने दुनिया के सातवें नम्बर के खिलाड़ी और तेज़तर्रास सर्विस के फनकार गोरान इवानीसेविच को हराकर बड़ा उलटफेर किया था.
 
इसी तरह 1987 में रमेश कृष्णन के शानदार खेल के दम पर भारत ने पिछले चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया को हराकर डेविस कप के फाइनल में जगह बनाई थी. तब दुनिया भर में यही संदेश गया था कि दिग्गज खिलाड़ियों को विपरीत हालात में लम्बे मैच खेलना रास नहीं आता. ऐसे तमाम उदाहरणों के जरिये आईटीएफ मैचों को छोटा करने पर जोर देता रहा है लेकिन अब तो उसके इस प्रस्ताव से दिग्गज खिलाड़ियों के लिए भी उम्मीद की किरण देखने को मिली है.
 
 
अख्तर अली हैं खिलाफ 
मगर पूर्व डेविस कप खिलाड़ी अख्तर अली का कहना है कि शुरू से ही दुनिया के आला दर्जे के खिलाड़ियों की डेविस कप में दिलचस्पी नहीं रही लेकिन ऐसे बदलाव भी खेल के लिए अच्छे नहीं हैं. डेविस कप का अलग महत्व है. इस टूर्नामेंट में खेलकर देश के प्रति भावना सर्वोपरि रहती है. उन्होंने कहा कि वह ऐसे बदलावों के हक में नहीं हैं.
 
बहरहाल, ये बदलाव भारतीय नजरिये से हमारे खिलाड़ियों के हक में नहीं हैं क्योंकि छोटे मैचों में कम रैंकिंग वाले खिलाड़ियों के लिए वापसी करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है. 

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