नई दिल्ली: क्या आप जानते हैं कि मणिपुर के नवनियुक्त मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह आला दर्जे के फुटबॉल खिलाड़ी रहे हैं. खिलाड़ी भी ऐसे कि उन पर उनका राज्य और देश गर्व कर सकता है. उनके साथ खेलने वाले फुटबॉल खिलाड़ियों का कहना है कि 80 के दशक में वह अपने फुटबॉल करियर के शवाब पर थे. उनमें गज़ब की नेतृत्व क्षमता थी मगर किसी ने भी उनके राजनीतिक क्षेत्र में राज्य की कमान सम्भालने की कल्पना नहीं की थी.
बीएसएफ के लेफ्ट बैक
बीरेन सिंह मणिपुर के पहले ऐसे फुटबॉलर हैं जो देश की ओर से फुटबॉल खेलने विदेश गए. 1980 में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की टीम से जुड़ने के साथ ही उनके करियर में एक निर्णायक मोड़ आया और अगले ही साल उन्हें डूरंड कप जीतने वाली टीम के सदस्य होने का गौरव हासिल हुआ. उन दिनों बीरेन बीएसएफ की लेफ्ट बैक पोज़ीशन पर खेला करते थे.
लाजवाब थी बीरेन की मार्किंग
बीरेन सिंह के साथ खेल चुके अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अनादि बरुआ ने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि एक फ्रेंडली मैच में वह उनके खिलाफ खेले थे. वह राइट हाफ पोज़ीशन पर और बीरेन लेफ्ट हाफ पर खेले. उन्होंने कहा कि मैच के दौरान उनका पाला बीरेन से ही पड़ रहा था. उनकी मार्किंग इतनी ज़बर्दस्त थी कि हर मैच की तरह उस मैच में भी उनको पार पाना मुसीबत साबित हो रहा था. उनकी इन्हीं सब खूबियों को देखते हुए उन्होंने अपनी पोज़ीशन में फेरबदल किया लेकिन उनके ऐसा करते ही बीरेन ने भी पोज़ीशन बदल ली लेकिन उन्हें किसी तरह का मौका नहीं दिया.
ऊपर से नर्म, अंदर से टफ
अनादि बरुआ बताते हैं कि 1986-87 के नॉर्थ ज़ोन कैम्प में पीके बनर्जी और इंद्र सिंह टीम के कोच थे. कैम्प नेहरु स्टेडियम में लगा था. उस कैम्प में बीरेन मुख्य आकर्षण थे. उनके पास गज़ब का स्टेमिना था और उनमें लगातार अच्छा प्रदर्शन करने की कूवत थी. सबसे अच्छी बात यह थी कि उन्हें गुस्सा बहुत कम आता था. उनकी शूटिंग की क्षमता काबिलेतारीफ थी. स्वभाव में वह जितने विनम्र थे, खेल में वह उतने ही टफ थे.
नॉकआउट के बढ़िया खिलाड़ी
पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी और कमेंटेटर गौस मोहम्मद ने बीरेन के बतौर खिलाड़ी अनुभवों को याद करते हुए बताया कि आम तौर पर नॉक आउट मुक़ाबलों में बंगाल के खिलाड़ियों का जलवा हुआ करता था लेकिन बीरेन इसके अपवाद थे. वह नॉकआउट मुक़ाबलों में भी टीम के सबसे भरोसे के खिलाड़ी हुआ करते थे. उन्होंने कहा कि 80 के दशक की शुरुआत में बीएसएफ की रिकॉर्डतोड़ क़ामयाबी में बीरेन का बड़ा योगदान रहा. उन दो वर्षों में बीएसएफ ने कई बड़े खिताब जीते और कई मुक़ाबलों के वह फाइनल में पहुंचे. उन्होंने कहा कि एक मैच में ईस्ट बंगाल जैसी तेज़तर्रार टीम के आक्रमणों पर उन्होंने अपनी सूझबूझ से अंकुश लगा दिया था.
अब फॉरवर्ड आना होगा
बीरेन सिंह कभी कांग्रेस में थे और पिछले साल अक्टूबर में ही बीजेपी में आए हैं. उन्हें एक अच्छे लेफ्ट बैक खिलाड़ी की तरह विपक्षियों के आक्रमणों पर बचाव करना बखूबी आता है. अब मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें राज्य की बेरोजगारी, घुसपैठ, हिंसा आदि तमाम समस्याओं के सामने आक्रामक होने की ज़रूरत होगी. फुटबॉल के इस लेफ्ट बैक से अब आगे बढ़कर आक्रमण करने का हर कोई इंतज़ार कर रहा है.