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सभी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में होगा डोप टेस्ट, 50 से ज्यादा जागरूकता कार्यक्रम

क्या आप जानते हैं कि भारत डोपिंग के अपराधों के मामले में वाडा की सूची में दुनिया भर में तीसरे स्थान पर है। पिछले साल नाडा की जारी सूची के अनुसार जनवरी 2009 के बाद से भारत के 687 एथलीट डोपिंग संबंधी अपराधों में लिप्त पाए जाने पर बैन किए जा चुके हैं

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  • March 10, 2017 1:53 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली:  क्या आप जानते हैं कि भारत डोपिंग के अपराधों के मामले में वाडा की सूची में दुनिया भर में तीसरे स्थान पर है. पिछले साल नाडा की जारी सूची के अनुसार जनवरी 2009 के बाद से भारत के 687 एथलीट डोपिंग संबंधी अपराधों में लिप्त पाए जाने पर बैन किए जा चुके हैं. यानी इस मामले में औसत हर साल सौ एथलीटों के पकड़े जाने का रहा. इनमें 70 फीसदी अपराध एथलेटिक्स, वेटलिफ्टिंग और इससे मिलते जुलते खेलों में देखने को मिले.
 
इसी तरह नाडा की 2009 से जुलाई 2013 की रिपोर्ट में 500 एथलीट डोपिंग का उल्लंघन करने के दोषी पाए गए. इनमें 423 एथलीटों पर एंटी डोपिंग अनुशासन पैनल ने बैन लगाया. इनमें भी वेटलिफ्टिंग और एथलेटिक्स में ऐसी घटनाएं सबसे ज़्यादा हुईं। इन सब घटनाओं के मद्देनज़र नाडा ने सभी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में डोप टेस्ट का फैसला किया है. साथ ही अब ज़्यादा संख्या में खिलाड़ियों के सैम्पल लिए जाएंगे और डोपिंग को लेकर 50 से ज़्यादा जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे. 
 
एक साल में 120 घटनाएं 
 
वर्ष 2015 में तो ऐसी घटनाओं की संख्या के 120 का आंकड़ा छूने पर भारत इस सूची में दूसरे स्थान के बेहद करीब पहुंच गया था. रियो ओलिम्पिक से पहले पहलवान नरसिंह यादव और शॉटपुटर इंद्रजीत सिंह पर डोप टेस्ट में पॉज़ीटिव पाए जाने पर बैन लगाया गया. 
 
शारापोवा का मामला 
 
ज़रूरत है ऐसे मामलों को सख्ती के साथ निपटने की. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखें तो ऐसे कई मामलों में ढील दी गई है जबकि कुछ मामलों को सख्ती भी दिखाई दी है. स्टटगार्ट, मैड्रिड और रोम ने हाल में टेनिस स्टार मारिया शारापोवा को अपने यहां टूर्नामेंट में वाइल्ड कार्ड एंट्री देकर इसी मामले मे ढिलाई का परिचय दिया जबकि उन पर डोप टेस्ट में दोषी पाए जाने के लिए 15 महीने का बैन लगा हुआ था ब्रिटिश टेनिस स्टार एंडी मरे इसके विरोध में खड़े हो गए. 
 
वहीं इसके ठीक उलट रशियन डोपिंग स्केंडल के मद्देनज़र एथलेटिक्स की अंतरराष्ट्रीय संस्था आईएएएफ ने पिछले महीने सभी रूसी खिलाड़ियों के अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने पर प्रतिबंध के फैसले को बरकरार रखने का फैसला किया है. ऑल टाइम ग्रेट तैराक माइकल फेल्प्स ने भी इंटरनैशनल ओलिम्पिक कमिटी, वाडा और विश्व स्तर के कई खेल संघों से इस मामले में सख्ती करने की अपील की है. 
 
प्रतिबंधित दवाएं
 
यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रेनाडा की `द स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट` पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च में कहा गया कि डोपिंग की समस्या पेशेवर खेलों में ही नहीं बल्कि अमेचर खेलों में भी एक गम्भीर समस्या है. यहां गौरतलब है कि वाडा और नाडा हर साल प्रतबंधित दवाओं की सूची जारी करते हैं. जहां स्टीमूलेट्स जगारूकता पैदा करने और थकान कम करने के लिए इस्तेमाल की जाती है वहीं स्टेरायड्स मांसपेशियां बनाने और ताक़त बढ़ाने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं. हारमोंस के ज़रिये आम तौर पर पुरुष हारमोंस का इस्तेमाल महिलाएं करती हैं. ड्यूटिक्स के अंतर्गत वजन कम करने का प्रावधान है. नारकोटिक्स में दर्द निवारक प्रतिबंधित दवाएं आती हैं जबकि केनाबेनोइड्स के अंतर्गत हशीश, मरिजुआना जैसी प्रतिबंधित दवाएं आती हैं. इन सभी दवाओं के साइड इफेक्ट काफी खतरनाक हैं. कोई भी मेडिकल दवा डॉक्टर की हिदायत के बिना नहीं खानी चाहिए. 
 
नाडा संभला
 
नाडा के जारी ज्ञापन के अनुसार 2016 में रजिस्ट्रड टेस्टिंग पूल में वाडा ने 151 खिलाड़ियों के परीक्षण किए जिनकी संख्या इससे पिछले साल से अधिक थी. इसके अलावा डोपिंग संभावित खेलों को ध्यान में रखते हुए सीनियर वर्ग की सभी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में डोप टेस्ट का फैसला लिया गया है. सभी राष्ट्रीय खेल संघों को सालाना कैलेंडर जारी करने का निर्देश दिया गया है. इतना ही नहीं, पिछले साल नाडा, भारतीय खेल प्राधिकरण और राष्ट्रीय खेल संघ ने एंटी डोपिंग को लेकर 52 जागरूकता कार्यक्रम चलाये. नाडा ने डोपिंग के डंक से बचने के लिए चार हज़ार सैम्पल लेने का लक्ष्य बनाया है जबकि पिछले साल 3363 ऐसे परीक्षण किये गए थे. 
 
(लेखक आर्थोपेडिक्स के डॉक्टर और फिज़ियोथेरेपिस्ट हैं)

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