बेंगलुरु: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माफी नहीं दी है. इससे पहले अवमानना के नोटिस मामले में ठाकुर बिना शर्त माफी भी मांग चुके हैं.
सुप्रीम कोर्ट में पेश होने के बाद अनुराग ठाकुर ने बिना शर्त माफी मांगी लेकिन कोर्ट ने अभी माफी नहीं दी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने हलफनामा दाखिल कर कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि उन्होंने कोर्ट के आदेशों में बाधा पहुंचाने की कोशिश की तो वो बिना शर्त और साफ तौर पर मांगी मांगते हैं.
कोर्ट के आदेशों को ना मानने का इरादा नहीं
ठाकुर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को क्षीण करने का कभी उनका उद्देश्य नहीं रहा. वो कम उम्र में ही पब्लिक लाइफ में आ गए थे और तीन बार से संसद लोकसभा के सदस्य रहे हैं उनके मन में सुप्रीम कोर्ट के प्रति उच्च सम्मान रखते हैं. उन्होंने ना तो कोई झूठा हलफनामा दाखिल किया और ना ही वो किसी तरह से कोर्ट के आदेशों में दखल देना चाहते थे.
जवाब में कोई दिक्कत नहीं
उनका कहना है कि उन्होंने सिर्फ ICC के चेयमैन शशांक मनोहर से दुबई में इस मुद्दे पर सिर्फ उनका पक्ष पूछा था क्योंकि BCCI का चेयरमैन रहते वक्त उनकी यही राय थी. सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने से पहले 2015 में केपटाउन में शशांक मनोहर ने खुद जवाब का ड्राफ्ट कराया था और कहा था कि इस जवाब में कोई दिक्कत नहीं है.
कारण बताओ नोटिस
बता दें कि 2 जनवरी को लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने को लेकर अड़ियल रुख अपनाए बीसीसीआई के खिलाफ तीखे तेवर अपनाते हुए कोर्ट ने ठाकुर को पद से हटाने के साथ साथ कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था उनसे पूछा गया है कि उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला क्यों न चलाया जाए? सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर आरोप साबित हुए तो ठाकुर को जेल भी जाना पड सकता है.
अारोपों से इनकार
अनुराग ठाकुर पर आरोप था कि उन्होंने आईसीसी के अध्यक्ष शशांक मनोहर को कहा था कि वह ऐसा पत्र जारी करे जिसमें यह लिखा हो कि अगर लोढ़ा पैनल को इजाजत दी जाती है तो इससे बोर्ड के काम में सरकारी दखलअंदाजी माना जाएगा और BCCI की सदस्यता रद्द भी हो सकती है. हालांकि ठाकुर ने इस आरोप से इनकार किया था.
अड़ियल रुख
क्रिकेट प्रशासन ने सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट के जरिए गठित लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशों को अपनाने को लेकर बीसीसीआई अड़ियल रुख अपनाए हुए था. इनमें अधिकारियों की उम्र, कार्यकाल, एक राज्य एक वोट जैसी सिफारिशें शामिल हैं. कोर्ट ने एक अहम फैसले में बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को उनके पद से हटाने का फैसला दिया था और सचिव अजय शिर्के को भी उनके पद से हटा दिया था. इसके बाद चार प्रशासक नियुक्त किए थे.
मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी और कोर्ट ने 17 अप्रैल को अनुराग ठाकुर की पेशी से छूट दी.