निशानेबाजी से पहले इन खिलाड़ियों का पहला प्यार था ‘क्रिकेट’

राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कभी कहा था कि क्रिकेट में आ रही भीड़ में से अगर कुछ खिलाड़ी सूझबूझ का परिचय देते हुए किसी दूसरे खेल को अपना लें तो इससे भारतीय खेलों का भला हो सकता है.

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निशानेबाजी से पहले इन खिलाड़ियों का पहला प्यार था ‘क्रिकेट’

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  • March 4, 2017 5:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कभी कहा था कि क्रिकेट में आ रही भीड़ में से अगर कुछ खिलाड़ी सूझबूझ का परिचय देते हुए किसी दूसरे खेल को अपना लें तो इससे भारतीय खेलों का भला हो सकता है. उनकी यह बात आज सच साबित हो रही है.
 
क्रिकेट में हाथ आजमाने वाले खिलाड़ी आज शूटिंग के खेल को अपना रहे हैं और उसके काफी अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं.
 
 
शिराज थे लेग स्पिनर 
आईएसएसएफ वर्ल्ड कप शूटिंग की स्कीट इवेंट में छठे स्थान पर रहे शिराज शेख का पहला प्यार क्रिकेट रहा है. वह उत्तर प्रदेश की ओर से अंडर 14 और अंडर 16 क्रिकेट खेल चुके हैं. इसके बाद जब वह अंडर 19 टीम की तैयारी कर रहे थे तो उनके परिवार ने उन्हें शूटिंग के खेल में गम्भीरता दिखाने को कहा.
 
हालांकि क्रिकेट के साथ वह शूटिंग पहले से ही कर रहे थे लेकिन एक खेल पर केंद्रित करने की सलाह को मानते हुए उन्हें क्रिकेट को छोड़ना पड़ा. जिन्होंने उन्हें करीब से क्रिकेट खेलते देखा है, उनका कहना है कि अगर शिराज शूटिंग के खेल में न जाते तो वह एक मंझे हुए लेग स्पिनर होते.
 
सहवाग के पार्टनर  
स्कीट इवेंट में उनके सीनियर मैराज अहमद खान भी क्रिकेट को अपना पहला प्यार मानते हैं. रियो ओलिम्पिक में भाग ले चुके मैराज उत्तर प्रदेश की अंडर 19 टीम में सी. के. नायडू ट्रॉफी टूर्नामेंट में खेल चुके हैं. इसके अलावा वह जामिया मिलिया विश्वविद्यालय की क्रिकेट टीम में बतौर सलामी बल्लेबाज़ नियमित सदस्य रह चुके हैं.
 
 
एक मैच में तो उन्हें वीरेंद्र सहवाग के बतौर ओपनिंग पार्टनर खेलने का मौका मिल चुका है. कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप में तीन गोल्ड जीतने वाले मैराज आज भी जब मौका मिलता है, क्रिकेट खेल लेते हैं. 
 
 
रणजी के दरवाज़े पर दस्तक 
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर की शूटिंग में शुरुआत काफी देर से हुई. राठौर भी कभी क्रिकेट खेला करते थे. उन्हें एक समय मध्यप्रदेश क्रिकेट टीम के सम्भावितों में जगह मिल गई थी. उस समय उनका राज्य के लिए रणजी ट्रॉफी खेलना तय माना जा रहा था लेकिन कहते हैं कि उनकी मां ने उनके क्रिकेट टीम में जाने का विरोध किया.
 
अगर उस समय उनकी मां ने सख्त रवैया न अपनाया होता तो राठौर भी क्रिकेट खेल रहे होते और उस स्थिति में वह 2004 के एथेंस ओलिम्पिक में रजत पदक जीतकर भारतीय शूटिंग के टर्निंग पॉइंट साबित न हो पाते.

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