नई दिल्ली : लगता है कि टीम इंडिया के सपोर्ट स्टाफ को वेतन में 25 फीसदी की वृद्धि से ही संतोष करना पड़ेगा. दरअसल, बीसीसीआई के अंतरिम अध्यक्ष पद पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई विनोद राय की नियुक्ति के बाद कोई भी अधिकारी बड़ा फैसला लेने से बच रहा है. इससे टीम इंडिया के बैटिंग कोच संजय बांगड़ बैकफुट पर आ गए हैं.
आश्वासन ठंडे बस्ते में
पिछले दिनों संजय बांगड़ और फील्डिंग कोच आर. श्रीधर सहित सपोर्ट स्टाफ ने बीसीसीआई से वेतन वृद्धि की मांग की थी. इसके जवाब में बोर्ड के सीईओ राहुल जोहरी ने इनके वेतन में 25 फीसदी की वृद्धि की मंजूरी दे दी थी लेकिन सपोर्ट स्टाफ को यह मंजूर नहीं था.
उनका कहना था कि इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के समय बोर्ड सचिव अजय शिर्के और फिर तत्कालीन अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने उनके वेतन में सौ फीसदी तक वृद्धि करने का आश्वासन दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन दोनों अधिकारियों के हटने से यह आश्वासन भी ठंडे बस्ते में चला गया.
सबसे ज्यादा नुकसान संजय बांगड़ को हुआ है क्योंकि वह सपोर्ट स्टाफ में सबसे सीनियर हैं और पिछले तीन साल से टीम इंडिया के साथ जुड़े हुए हैं लेकिन इस दौरान उनके वेतन में कोई वृद्धि नहीं हुई है. टीम के फीजियों को भी इन कोचों के बराबर वेतन मिलता है.
महीने का 54 लाख
यहां गौरतलब है कि इस समय टीम इंडिया के कोच अनिल कुम्बले का वेतन साढ़े छह करोड़ रुपये सालाना है. यानी तकरीबन 54 लाख रुपये महीना, जबकि उनकी तुलना में अंडर 19 के कोच राहुल द्रविड़ को सालाना 1.5 करोड़ रुपये ही मिलते हैं. यानी साढ़े 12 लाख रुपये महीना.
सूत्रों का कहना है कि कुम्बले से पहले द्रविड़ को टीम इंडिया के कोच पद का ऑफर किया गया था लेकिन द्रविड़ ने यह कहकर प्रस्ताव ठुकरा दिया कि अंडर 19 से टैलंट निकालना ज्यादा चैलेंजिंग है. वह चाहते तो तकरीबन चार गुना से ज्यादा का पैकेज पा सकते थे. कुम्बले और टीम इंडिया के पूर्व कोच एवं डायरेक्टर रवि शास्त्री का वेतन अब तक किसी भी कोच से अधिक रहा है. यहां तक कि डंकन फ्लेचर और गैरी कर्स्टन से भी अधिक. इन दोनों को तीन से चार करोड़ रुपये सालाना मिलते थे.
विनोद राय का डर
संजय बांगड़ को अगर आठ से दस लाख रुपये भी महीने के मिलते हैं तो इस राशि में कई पूर्व खिलाड़ी कोच बनने के लिए तैयार हैं. बोर्ड इसीलिए विनोद राय के सबसे बड़े पद पर होने की वजह से सपोर्ट स्टाफ के लिए सौ फीसदी की वेतन वृद्धि का जोखिम नहीं उठाना चाहता.
यह वही विनोद राय हैं जिन्होंने टू-जी स्पैक्ट्रम आबंटन, कॉमनवेल्थ गेम्स, कोलगेट और पद्मनाभास्वामी मंदिर ऑडिट जैसे मामलों की जांच की थी. वह 30 जनवरी, 2017 से बीसीसीआई के अंतरिम अध्यक्ष हैं और उनकी अगुवाई में क्रिकेट हिस्टोरियन रामचंद्र गुहा, बैंकर विक्रम लिमये और भारतीय टीम की पूर्व महिला कप्तान डायना एडुलजी की कमिटी काम कर रही है. इसके अलावा विनोद राय सीएजी में भी सक्रिय रूप से जुड़े रहे हैं.