नई दिल्ली: पहले टेस्ट मैच में भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया से 333 रनों से हार का सामना करना पड़ा है. इस टेस्ट मैच में हार के साथ ही भारत के 19 टेस्ट मैचों से चले आ रहे अजेय रथ पर भी ब्रेक लग गया.
टीम इंडिया के पूर्व कोच और पूर्व क्रिकेटर अंशुमन गायकवाड़ ने इस हार पर इंडिया न्यूज़ से खास बातचीत में बताया कि पुणे के मैदान पर टॉस की अहम भूमिका होती है लेकिन टॉस से कहीं ज्यादा प्रभाव बल्लेबाजी का रहा. पहली पारी में और दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाजी में खिलाड़ियों ने खराब शॉट्स खेले, जिसका खामियाजा टीम को भुगतना पड़ा.
लाइन और लेंथ गलत
वहीं भारतीय टीम की गेंदबाजी को लेकर उन्होंने कहा कि भारतीय गेंदबाज खासकर स्पिनर्स ने उस तरह की गेंदबाजी नहीं कि जिस तरह की गेंदबाजी ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर्स की तरफ से देखने को मिली. भारतीय गेंदबाज बॉल टर्न जरूर करा रहे थे लेकिन लाइन और लेंथ गलत थी.
छोड़े कैच
फिल्डिंग की बात की जाए तो इस टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्मिथ के काफी कैच फिल्डर्स ने छोड़े. इस बारे में उन्होंने कहा कि इस मैच में भारतीय खिलाड़ियों की फील्डिंग भी कमजोर नजर आई. जब बड़ा स्कोर हो और हालात विपरीत हो तो कैच काफी मायने रखते हैं भारतीय खिलाड़ियों ने जो कैच छोड़े हैं वो भी आसान कैच थे.
अगर कैच पकड़ते तो मैच की तस्वीर कुछ और ही होती. उन्होंने कहा कि जिस तरीके से आसान कैच छोड़े उसको देखकर लगता है कि टीम में ओवर कॉन्फीडेंस आ गया है. कॉन्फिडेंस सही है लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस बहुत खराब है.
टर्निंग प्वाइंट
मैच के टर्निंग प्वाइंट को लेकर उन्होंने कहा कि पहली पारी में के एल राहुल का विकेट मैच का टर्निंग प्वाइंट रहा. एक सेट बल्लेबाज 60 के स्कोर से आगे अच्छी साझेदारी भी बना रहा है और खराब शॉट खेल कर आउट हो जाता है. जिसके बाद हर बल्लेबाज एक के बाद एक आउट हो गया. अगर राहुल क्रीज पर टिका रहता तो शायद 150 की लीड थोड़ी कम हो जाती.
लेनी होगी जिम्मेदारी
उन्होंने कहा कि टीम इंडिया ने जिस तरह का खेल न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और बांग्लादेश के खिलाफ खेला है वैसा खेल पुणे टेस्ट में देखने को नहीं मिला. मैच के बाद कप्तान विराट कोहली के बयान पर उन्होंने कहा कि पूरी टीम को जिम्मेदारी लेनी होगी. विराट कोई मशीन नहीं हैं कि हर मैच में वो ही टीम का दारोमदार संभाले. ये टीम गेम है और हर खिलाड़ी को अपनी भूमिका निभानी होगी.
सबक
333 रनों से हुई हार को लेकर उनका मानना है कि 3 दिन के अंदर ही 333 रनों से हार जाना काफी बड़ी बात होती है. इसे हल्के में लेने की भूल टीम को नहीं करनी चाहिए और जो गलतियां हुई उनसे सबक लेने की जरूरत है.
रणनीति
उनके मुताबिक अगर कोई एक रणनीति नहीं चल पाती है तो दूसरी रणनीति के हिसाब से चलना होगा. अगर दूसरी रणनीति भी नहीं चल पाती है तो तीसरी रणनीति से काम लेना होगा. वहीं उनका कहना है कि एक मैच में हार से टीम को ज्यादा निराश भी नहीं होना चाहिए और बल्लेबाजी क्रम में बदलाव की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है.