नई दिल्ली: इन दिनों भारतीय पहलवानों को नैशनल कैम्प में एक्यूप्रेशर एक्सपर्ट राजबीर की सेवाएं काफी उपयोगी साबित हो रही हैं. जिन पहलवानों को पिछले कुछ समय से मासपेशियों में खिंचाव था, उन्हें अब इस तकनीक के इस्तेमाल से काफी राहत है.
वर्ल्ड चैम्पियनशिप में कुछ साल पहले कांस्य पदक जीत चुके बजरंग पूनिया को अब घुटने की इंजरी से काफी आराम है. वह इस शैली के प्रयोग से खुद को तरोताज़ा महसूस कर रहे हैं. योगेश्वर दत्त के अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबलों से दूरी बनाने के बाद अब 65 किलो की फ्रीस्टाइल शैली की कुश्ती में बजरंग पर सबकी उम्मीदें टिकी हैं.
इसी फिटनेस की वजह से बजरंग को प्रो रेसलिंग लीग में रजनीश ने पटखनी दी थी. बजरंग कहते हैं कि वह अब पहले से काफी अच्छा महसूस कर रहे हैं और एक्यूप्रेशर शैली कॉन्टैक्ट स्पोर्ट्स में काफी उपयोगी है.
इसके अलावा एशियाई चैम्पियनशिप के पूर्व चैम्पियन अमित धनकड़ नंदिनीनगर में आयोजित राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के दौरान ही इंजर्ड हो गए थे. तब साफ लगने लगा था कि उस प्रतियोगिता में अपना अगला मुक़ाबला नहीं लड़ पाएंगे लेकिन भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की पहल पर उन्होंने राजबीर से सम्पर्क किया और उसके बाद अमित ने उस प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल किया. अमित का कहना है कि उस तकनीक ने उनके लिए चमत्कार का काम किया.
इस घटना के बाद पहलवानों के अनुरोध पर भारतीय कुश्ती संघ ने भारतीय खेल प्राधिकरण से नैशनल कैम्प में एक्यूप्रेशर एक्सपर्ट को शामिल करने की मांग की. फेडरेशन की ओर से इस बारे में एक्सपर्ट के तौर पर राजबीर को नाम भेजा गया और उसके बाद साई ने उन्हें एशियाई चैम्पियनशिप के लिए बहालगढ़ (सोनीपत) में लगे नैशनल कैम्प में शामिल कर लिया गया.
इससे पहले मेडिकल एक्सपर्ट के नाम पर डॉक्टर, फीज़ियो और योग विशेषज्ञों को कैम्प के साथ जोड़ा जाता था लेकिन यह पहला मौका है जब किसी खेल के नैशनल कैम्प में एक्यूप्रेशर विशेषज्ञ को जोड़ा गया.
रियो ओलिम्पिक से पहले बबीता भी एक्यूप्रेशर एक्सपर्ट की सेवाएं ले चुकी हैं. राजबीर कहते हैं कि नसों को दबाकर इलाज करने की यह कला खेलों में सौ फीसदी कारगर है और इसके अच्छे परिणाम देखे जा सकते हैं. सवाल यह है कि जिन कॉन्टैक्ट स्पोर्ट्स में इंजरी होना सामान्य बात है, वहां ऐसे विशेषज्ञों की मदद क्यों नहीं ली जाती.
अगर एक्यूप्रेशर एक्सपर्ट की सेवाएं लेकर भारतीय पहलवानों को फायदा हो सकता है तो यह फायदा दूसरे खेलों में भी उठाया जाना चाहिए. कम से कम भारतीय कुश्ती संघ का यह कदम पहलवानों के हित में एक बड़ा इनोवेशन साबित हुआ है.
इसी तरह प्रो रेसलिंग लीग में खिलाड़ियों की ब्लॉकिंग से लेकर नैशनल चैम्पियनशिप में खिलाड़ियों के अपने राज्य की ओर से ही भाग लेने के कड़े फैसले ऐसे ही कुछ कदम हैं जिनका भारतीय कुश्ती पर काफी पॉजिटिव असर देखने को मिल सकता है. निसंदेह ऐसे प्रयोग दूसरे खेलों में भी किए जाने चाहिए.