नई दिल्ली. 10 साल बाद इतिहास खुद को दोहरा रहा है. शायद धोनी को एक साल के अंदर ही संन्यास लेने पर मजबूर होना पड़ेगा. 2005 में राहुल द्रविड़ अचानक टीम इंडिया के कप्तान बने थे और 2015 में रहाणे. पिछली बार चैपल-गांगुली विवाद के चलते टीम इंडिया इंडिया की गुटबाजी सामने आई थी. इस बार रवि शास्त्री-धोनी के चलते टीम इंडिया दो-फाड़ हो गई है. मजेदार बात यह है कि जिम्बाब्वे दौरे को गांगुली और धोनी कभी नहीं भूल पाएंगे. इसी देश में धोनी-गांगुली दोनों अर्श से फर्श पर आ गए.
2005 में जिम्बाब्वे दौरे के वक्त चैपल ने मीडिया से कहा कि गांगुली खेलने से बचने के लिए चोट का बहाना करते हैं. जवाब में गांगुली ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि चैपल समेत टीम प्रबंधन उनपर कप्तानी और टीम छोड़ने का दबाव बना रहा है. इसके बाद चैपल ने गांगुली की जबरदस्त आलोचना करने वाला ईमेल बीसीसीआई को भेजा जो लीक हो गया. इस विवाद ने चैपल की विदाई करवाई तो गांगुली के करियर के अंत की शुरूआत भी की. इस घटना के बाद गांगुली टीम इंडिया के कप्तान नहीं रहे. उनकी जगह द्रविड़ ने ली.
बांग्लादेश के दौरे पर धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया को मिली करारी हार और गुटबाजी के कारण बीसीसीआई ज्यादा दिनों तक भारतीय टीम में धोनी को रखने के पक्ष में नहीं है. बीसीसीआई ने जिम्बाब्वे दौरे में धोनी को कप्तानी से हटाकर उनका भविष्य तय कर दिया. दूसरी ओर रहाणे को कप्तान बनाकर कोहली को पहली चेतावनी दे दी गई है. हालांकि, टेस्ट में तो कोहली कैप्टन बने रहेंगे, लेकिन अगले 1 साल में अगर रहाणे का प्रदर्शन अच्छा रहा तो उन्हें कप्तानी मिलने की पूरी संभावना है. क्योंकि रहाणे अच्छे क्रिकेटर के साथ ही शांत दिमाग वाले आदमी है. और विवादों से दूर रहते हैं. उन्हें सचिन-द्रविड़ का सपोर्ट है.
दूसरी ओर टीम इंडिया से चेन्नई सुपरकिंग्स के खिलाड़ियों की विदाई धीरे-धीरे तय है. पिछले 5 सालों से जडेजा धोनी की टीम का अहम हिस्सा रहे हैं. इस बार टीम की घोषणा करते समय संदीप पाटिल ने टीम के कई खिलाड़ियों को आराम देने की बात तो कही लेकिन उन्होनें रविंद्र जडेजा के टीम में नहीं होने का कारण आराम नहीं बल्कि खराब फॉर्म के कारण बाहर किया जाना बताया. यानि जडेजा के अच्छे दिन गए. धोनी को भी समझना होगा कि श्रीनिवासन की विदाई और डालमिया के आने के साथ ही उनका कद पहले जैसा नहीं रहा है. अब वो अपनी पसंद की टीम नहीं चुन सकते और बिन्नी, मोहित और जडेजा को ढो भी नहीं सकते.
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