नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. इसमें ठाकुर ने कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि उन्होंने कोर्ट के आदेशों में बाधा पहुंचाने की कोशिश की तो वे बिना शर्त और साफ तौर पर मांगी मांगते हैं.
अनुराग ठाकुर ने दाखिल किए अपने हलफनामे में कहा है कि उनका उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को क्षीण करने का कभी नहीं रहा है. वो कम उम्र में ही पब्लिक लाइफ में आ गए थे और तीन बार से लोकसभा के सदस्य भी रहे हैं.
कोर्ट के प्रति सम्मान
उन्होंने कहा कि उनके मन में सुप्रीम कोर्ट के प्रति हमेशा से सम्मान रहा है. उन्होंने ना ही कभी कोई झूठा हलफनामा दायर किया और ना ही कभी किसी तरह से कोर्ट के आदेशों में दखल देना चाहते थे.
सुप्रीम कोर्ट ने किया था बर्खास्त
बता दें कि क्रिकेट प्रशासन में सुधार के लिए लोढ़ा कमेटी ने कुछ सिफारिशे सुझाई थी. जिसे लागू करने के लिए बीसीसीआई ने अड़ियल रवैया अपनाए रखा. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस साल दो जनवरी को बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से अनुराग ठाकुर को और सचिव पद से अजय शिर्के को बर्खास्त कर दिया था.
कारण बताओ नोटिस
पद से हटाए जाने के साथ ही कोर्ट ने ठाकुर को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था. इस नोटिस में ठाकुर से पूछा गया था कि उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला क्यों न चलाया जाए? सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर आरोप सही साबित हुए तो अनुराग ठाकुर को जेल भी जाना पड़ सकता है.
ये था आरोप
अनुराग ठाकुर पर आरोप था कि उन्होंने आईसीसी के अध्यक्ष शशांक मनोहर को कहा था कि आईसीसी ऐसा पत्र जारी करे जिसमें यह लिखा हो कि अगर लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू किया जाता है तो इसे बोर्ड के काम में सरकारी दखलअंदाजी माना जाएगा. इससे बीसीसीआई की सदस्यता भी रद्द भी हो सकती है. जबकि ठाकुर ने इस आरोप को निराधार बताया था.