नई दिल्ली: 2011 में वर्ल्ड कप फाइनल में धोनी ने ऐतिहासिक छक्का लगाकर भारत को 28 साल बाद वर्ल्ड कप का चैंपियन बनाया था.
वानखेड़े की पिच इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए समा गई.
लेकिन इसी मुंबई से
माही की कप्तानी का साइन ऑफ भी हुआ है. इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट में विराट कोहली ने 235 रन की पारी खेली थी. कोहली की इस पारी ने धोनी को सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या उन्हें अब टेस्ट टीम का कप्तान रहना चाहिए?
धोनी ने जल्द ही
BCCI अधिकारियों को अपना फैसला सुना दिया. धोनी ने मुंबई टेस्ट के चौथे दिन अपने फैसले को विराट और बीसीसीआई को बता दिया. हालांकि धोनी के इस फैसले का
विराट ने विरोध किया लेकिन धोनी अड़े रहे.
बीसीसीआई ने इस पूरे मामले पर फैसला धोनी पर ही छोड़ दिया. इसके बाद 4 जनवरी को धोनी ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट की कप्तानी से हटने का ऐलान कर दिया.
धोनी महान नहीं
महानतम इसलिए कहलाएंगे, क्योंकि उन्होंने कई ऐसे रिकॉर्ड को अनसुना कर दिया जो शायद ही कोई कर सके. धोनी ने 90 टेस्ट खेले. यानि सिर्फ 10 टेस्ट और खेलते तो 100 टेस्ट खेलने वाले क्रिकेटर होते जबकि 199 वनडे में उन्होंने कप्तानी की, महज 1 वनडे और कप्तानी करते तो 200 वनडे में कप्तानी करने वाले तीसरे कप्तान बनते.
धोनी ने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया. धोनी महान थे, अब महानतम कहलाएंगे. रांची जैसे छोटे शहर से आए इस पहले बड़े क्रिकेटर ने हिंदुस्तान में अपनी शर्तों पर कप्तानी छोड़ने की एक ऐसी परंपरा की शुरुआत कर दी जिसकी चर्चा लंबे समय तक होगी.