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‘माही’ से ‘महेंद्र सिंह धोनी’ और फिर ‘कैप्टन कूल’ बनने की दिलचस्प कहानी

नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट टीम के वनडे और टी-20 कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अपनी कप्तानी से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, रिपोर्ट्स के मुताबकि धोनी टीम में खेलते रहेंगे. धोनी टेस्ट मैच से पहले ही सन्यास ले चुके हैं. एमएस धोनी भारतीय क्रिकेट टीम में अपने 13 साल के करियर के दौरान एक बेहतरीन कप्तान के तौर पर उभरें.
धोनी की अगुवाई में भारतीय टीम ने कई नए रिकॉर्ड बनाए और टी-20 वर्ल्ड कप भी जीता. टीम में अपने शुरुआती दौर में ही उन्हें कप्तानी मिल गई और उन्हें एक सुलझे हुए कप्तान के तौर पर भी जाना गया.
स्मॉल-टाउन टेलेंट स्पॉटिंग से चुने गए
महेंद्र​ सिंह धोनी ने टीम इंडिया में अपने करियर की शुरुआत साल 2003/04 में इंडिया ‘ए’ टीम में चुने जाने से हुई थी. उन्हें जिम्बावे और केन्या टूर के चुना गया था. यहां मैच में धोनी ने सात कैच और 4 स्टमप्स के साथ बेहतरीन प्रदर्शन किया था. इसके बाद उन्होंने लगातार सैचुरी लगाई. उन्होंने 6 इंनिग्स में 72.40 की एवरेज से 362 रन बनाए थे.
धोनी का स्मॉल-टाउन टेलेंट-स्पॉटिंग इनिशिएटिव के जरिए राष्ट्रीय टीम के लिए चुना गया था. धोनी सितंबर 2007 में हुए टी-20 वर्ल्ड कप में कप्तान बने थे. धोनी ने 199 वनडे मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की है, जिसमें से भारत ने 110 मैच जीते और 74 हारे हैं. उन्होंने 72 टी-20 मैचों में भारत की बागडोर संभाली है. इनमें से 41 मैचों में टीम इंडिया जीती और 28 में हारी है.
धोनी के क्रिकेट में आने की दिलचस्प कहानी
धोनी के क्रिकेट में आने की कहानी काफी अनूठी है. उनके पिता मेटलर्जिकल और इंजीनियरिंग के एक प्लांट में पम्प ऑपरेटर थे. एक पम्प आॅपरेटर का 17-18 साल का बेटा जब साइकल के हैंडल में अपना किटबैग बांधकर प्रैक्टिस करने पहुंचता था, तो लोग उसे ‘बहुत कर्रा मारने वाला लड़का’ के नाम से जानते थे.
एमएस धोनी टेनिस बॉल क्रिकेट में रांची और आसपास के इलाकों में भरपूर नाम कमा चुके थे लेकिन इस उम्र तक ये तय नहीं कर पाये थे कि उन्हें जिंदगी भर क्रिकेट ही खेलना है. क्रिकेट को करियर ऑप्शन बनाना काफी खर्चिला भी था इसलिए उनके लिए चुनाव मुश्किल था. धोनी के सामने क्रिकेट के सामान की भी एक मुश्किल खड़ी थी. हालांकि, इस मुश्किल में उनका साथ दिया छोटू भईया ने.
छोटू भईया रांची में प्राइम स्पोर्स्ट्स नाम की एक दुकान चलाते थे. उन्होंने ही धोनी को जालंधर की बीएएस नाम की कंपनी से उसका पहला कॉन्ट्रैक्ट दिलाया. अब धोनी को पूरी किट कंपनी की तरफ से मिलती थी. साल 2001 की शुरुआत में ही दिलीप ट्रॉफी के लिए धोनी को ईस्ट जोन के लिए चुना गया. धोनी इस टूर्नामेंट में कैसे भी खेलना चाहते थे क्योंकि उस सीजन में सचिन तेंदुलकर भी खेल रहे थे. लेकिन सेलेक्शन के बावजूद धोनी तक यह खबर नहीं पहुंची थी.
धोनी को अपने सेलेक्शन के बारे में अपने दोस्त परमजीत से पता चला. वो कोलकाता में रहते था और अखबार में धोनी के सेलेक्शन की खबर सुनकर उसने धोनी के घर फोन मिला दिया. इसके बाद धोनी अगले 24 घंटों में किसी तरह राजू भईयो की मदद से कार एरेंज करके ट्रॉफी खेलने के लिए पहुंचे. लेकिन, देरी से पहुंचने के कारण पहला मैच वह नहीं खेल पाए. हालांकि, धोनी ने अगले मैच के लिए पुणे पहुंच कर मैच जरूर खेला.
धोनी से जुड़े रिकॉर्ड
महेंद्र सिंह धोनी ने अभी तक 90 टैस्ट मैच में खेले हें. इनमें उन्होंने 144 पारियां खेल और 4876 रन बनाएं. उनका उच्चतम स्कोर 224 रहा. धोनी ने 283 वनडे मैच में 246 पारियां खेली हैं और 9110 रन बनाए हैं. धोनी ने 73 टी20 मैच में 63 पारियां खेलीं और 1112 रन बनाए. भारत में सबसे ज्यादा छक्के लगाने का रिकॉर्ड भी धोनी के नाम पर ही है.
यूं तो धोनी विकेटकीपिंग और बैटिंग ही करते हैं, लेकिन उन्होंने बतौर विकेटकीपर भी सबसे ज्यादा बार बॉलिंग की है. धोनी ने विकेटकीपर रहते हुए 132 गेंदें डालीं और 1 विकेट भी लिया.

 

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