नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और लोढ़ा कमेटी के बीच सिफारिशों को लेकर गतिरोध अभी जारी है. अब बीसीसीआई को सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक बार फिर झटका लगा है. कोर्ट ने पूछा है कि क्या अनुराग ठाकुर ने कोर्ट के सामने झूठे तथ्य सामने रखें हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस क्यूरी से पूछा है कि क्या बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने कोर्ट के सामने झूठे तथ्य पेश किए हैं? जिसके जवाब में एमिकस क्यूरी ने कोर्ट को बताया कि अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में दिए शपथपत्र में झूठ कहा कि उन्होंने बीसीसीआई चेयरमैन के रूप में शशांक मनोहर से विचार लिया था.
बाधा पहुंचाई
क्यूरी का कहना है कि ठाकुर ने सुधारों की प्रक्रिया में बाधा पहुंचाई है. अगर ऐसा पाया जाता है कि अनुराग ठाकुर ने झूठे तथ्य पेश किए हैं तो वो जेल भी जा सकते हैं. इसके अलावा एमिकस क्यूरी ने वरिष्ठ अधिकारियों को पद से हटाए जाने की वकालत की है.
बचाव के लिए एक हफ्ता
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कोर्ट ये आदेश पारित करेगा कि अनुराग ठाकुर के खिलाफ परजूरी (कोर्ट में झूठा साक्ष्य देना) का मामला चलाया जाए या नहीं. इसके लिए कोर्ट ने ठाकुर को अपने बचाव के लिए एक हफ्ते में दस्तावेज दाखिल करने का वक्त भी दिया है.
पुनर्विचार याचिका खारिज
वहीं बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई को बीसीसीआई को लोढ़ा कमिटी की सिफारिशें लागू करने को कहा था. जिसके बाद 16 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआई ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी.
वहीं अनुराग ठाकुर के वकील कपिल सिब्बल का कहना है कि ठाकुर मांफी मांगने को तैयार हैं. बता दें कि लोढ़ा कमिटी की अधिक उम्र के अधिकारियों को हटाना, एक स्टेट एक वोट, इसके अलावा पैनल की ऐसी और भी कई शर्ते हैं जिनका बीसीसीआई विरोध कर रही है.