ये तीरंदाज ‘दांतों’ से करता है तीरंदाजी, मुश्किलों के बावजूद नहीं मानी हार

एक एथलीट जिस अंग के सहारे अपने खेल में प्रदर्शन करता है वो अंग ही अगर खराब हो जाए तो क्या उसका करियर खत्म हो जाएगा?

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ये तीरंदाज ‘दांतों’ से करता है तीरंदाजी, मुश्किलों के बावजूद नहीं मानी हार

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  • December 12, 2016 12:22 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
मुबंई : एक एथलीट जिस अंग के सहारे अपने खेल में प्रदर्शन करता है वो अंग ही अगर खराब हो जाए तो क्या उसका करियर खत्म हो जाएगा? इसका सटीक जवाब उस खिलाड़ी की इच्छाशक्ति पर ज्यादा निर्भर करती है. ऐसा ही एक खिलाड़ी है ‘अभिषेक’. इसके एक हाथ ने काम करना बंद कर दिया. जिसके बाद अभिषेक ने खेल को ही अपनी जिंदगी बना लिया.
 
अभिषेक ऐसे अकेले तीरंदाज हैं जो अपने दांतों से तीरंदाजी करते हैं. अभिषेक जिन हालातों से गुजरा है उन हालात में कई लोग तो बीच में ही हार मान लेते हैं लेकिन अभिषेक ने हार नहीं मानी और ना ही अपनी किस्मत के आगे घुटने टेके. जब अभिषेक एक साल के थे तो उनका सीधा हाथ पोलियो के कारण खराब हो गया था. इलाज के दौरान डॉक्टर ने इतनी लापरवाही से काम किया की उन्हें गलत इंजेक्शन दे दिया जिसके कारण अभिषेक जिंदगीभर के लिए अपाहिज हो गए.
 
बने राष्ट्रीय स्तर के एथलीट
अपाहिज होने के बावजूद वो खेलों को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाना चाहते थे. वो इसी राह पर चलते गए और तब से ही उनकी जिंदगी एक संघर्ष बन गई. अभिषेक ने खेल खेलना शुरू किया तो मेडल जीतकर ही दम लेते. उन्होंने दौड़ में कई मेडल्स जीते हैं. इसके अलावा लॉन्ग जम्प में भी किसी से पीछे नहीं रहे और इस तरह वो एक राष्ट्रीय स्तर के एथलीट बन गए.
 
बदली दिशा
उनकी जिंदगी का संघर्ष यहीं नहीं खत्म हुआ. जब लगा की सब ठीक हो रहा है तभी उनको सीधे पैर के घुटने का ऑपरेशन कराना पड़ा. जिसके बाद डॉक्टर्स ने उन्हें दौड़ने के लिए मना कर दिया. जिंदगी के इस पड़ाव पर जहां लोग हार मान लेते वहीं अभिषेक ने ऐसा नहीं किया. अभिषेक ने अपनी दिशा बदल दी और तीरंदाजी करने की शुरुआत की. 
 
हासिल की महारथ
तीरंदाजी करने में भी उनको काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा क्योंकि तीरंदाजी का इक्यूपमेंट काफी वजनदार होता है और इसे हाथ से उठाने में उन्हें काफी दिक्कत महसूस होती थी. हार नहीं मानते हुए फिर उन्होंने इसका भी हल निकाल लिया और अपने दांत से तीर चलाना शुरू किया. रात-दिन प्रैक्टिस करने से ही उन्होंने इस खेल में महारथ हासिल कर ली है और अब हर तीर निशाने पर ही लगता है.
 
पैरालिम्पिक्स में मेडल
तीरंदाजी में और शानदार प्रदर्शन करने के लिए 25 वर्षीय अभिषेक अपने कन्धों और गर्दन को मजबूत बनाने के लिए खास कसरत भी करते हैं. अभिषेक महाराष्ट्र के अकेले ऐसे तीरंदाज़ हैं जो ओपन और डिसेबल्ड दोनों ही तरीके की तीरंदाजी की प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं. अब अभिषेक अन्तराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहे हैं. उनका सपना अगले पैरालिम्पिक्स में भारत के लिए मेडल हासिल करना है.

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