दिल्लीः क्रिकेट के इतिहास में 3 मार्च का दिन एक काला दिन माना जाता है क्योंकि आज ही के दिन पाकिस्तान के लाहौर में श्रीलंकाई टीम पर आतंकी हमला हुआ था. लेकिन बहुत कम लोगों को ही पता होगा कि आज ही के दिन क्रिकेट इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना की शुरूआत हुई थी. तारीख था 3 मार्च और साल था 1939. इस समय इंग्लैंड की टीम अपने पूर्व औपनिवेशिक देश दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर थी. यह इंग्लैंड का इस दौरे पर पांचवा मैच था और इंग्लैंड सीरीज में 1-0 से आगे तल रही थी.
टाइमलेस टेस्ट का था रिवाज
उस समय ‘टाइमलेस टेस्ट’ मैच खेलना एक रिवाज सा था और टीमें दौरों पर कभी-कभी ऐसे मैच भी खेलती थी ताकि मैच का परिणाम आ सके. ऐसा ड्रॉ हो रहे मैचों के अधिकता के कारण भी किया जाता था. इस दौरे पर भी चार में से तीन मैच ड्रॉ ही हुए थे. इसलिए दोनों टीमों ने आपसी सहमति से अंतिम मैच को टाइमलेस खेलने की सहमति जताई थी ताकि मैच का परिणाम आ सके.
पांच दिन तक चली थी पहली दो पारियां
इस मैच की शुरूआत होती है 3 मार्च 1939 को. अफ्रीकी टीम ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और 6 मार्च तक बल्लेबाजी करते हुए 530 रन बनाए. इसमें 5 मार्च का दिन रेस्ट डे था. अफ्रीका की तरफ से दो बल्लेबाजों वॉन डर बिज्ल और नोर्स ने शतकीय पारी खेली थी और कप्तान मेलविले सहित तीन बल्लेबाजों ने अर्धशतक लगाए थे. मैच के तीसरे दिन यानी 6 मार्च के शाम को इंग्लैंड की टीम अपनी पहली पारी खेलने उतरी. इंग्लैंड पहली पारी में कुछ खास नहीं कर पाई और दो ही दिन में 316 रन पर सिमट गई. इंग्लैंड का कोई भी बल्लेबाज शतक नहीं बना सका. वहीं दक्षिण अफ्रीका की तरफ से डॉल्टन ने चार विकेट लिए. मैच के पांचवें दिन दक्षिण अफ्रीका की दूसरी पारी शुरू हुई. दक्षिण अफ्रीका ने फिर से अच्छी बल्लेबाजी करते हुए 481 रन बनाए. इस बार कप्तान मेलविले ने शतक ठोका जबकि पिछले पारी में शतक लगाने वाले वॉन डर बिज्ल ने 97 रन की बेहतरीन पारी खेली.
इंग्लैंड को मिला 696 रन का रिकॉर्ड लक्ष्य
अब इंग्लैंड की टीम को जीत के लिए 696 रन का रिकॉर्ड लक्ष्य मिला था. इंग्लैंड ने मैच के सांतवें दिन यानी 10 मार्च को अपनी पारी शुरू की और दिन के अंत तक एक विकेट खोककर 253 रन बनाए. इस बार इंग्लैंड के ओपनर्स टाइमलेस टेस्ट का फायदा उठाने की ठान कर आए थे. ओपनर लेन हटन ने 55 रन की पारी खेली. जबकि दूसरे ओपनर पॉल गिब ने 450 से अधिक मिनट पर क्रीज पर रहते हुए 120 रन बनाए. इंग्लैंड के बल्लेबाजों की निश्चिंतता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गिब ने अपने 120 रनों की इस पारी में सिर्फ दो चौके लगाए. अगला दिन यानी 11 मार्च को बारिश के कारण एक भी गेंद नहीं फेंकी जा सकी. जबकि अगला दिन संडे होने के कारण 12 मार्च को रेस्ट डे था.
टाइमलेस टेस्ट भी हुआ रोमांचक
अब इंग्लैंड के बल्लेबाजों की निश्चिंतता थोड़ी सी टूटी क्योंकि उन्हें 16 मार्च को डरबन से 1000 किलोमीटर दूर केपटाउन पहुंचना था, जहां से उनको पानी के जहाज के लिए इंग्लैंड वापस लौटना था. उस समय हवाई जहाज नहीं पानी के जहाजों का ही प्रचलन था. बहरहाल 13 मार्च को जब मैच फिर से शुरू हुआ तो तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए बिल एडरिच ने कुछ जोर लगाना शुरू किया. उन्होंने 25 चौको की मदद से 219 रन बनाए. वहीं दूसरे तरफ महान वॉली हेमंड ने विकेट बचाने और एडरिच का साथ देने के लिए विकेट बचाने की रणनीति अपनाई और अपेक्षाकृत 140 रनों की धीमी पारी खेली. इस पारी में केवल 7 चौके थे. खेल के नौवें दिन यानी 13 मार्च के अंत तक एडरिच आउट हो चुके थे. हेमंड का साथ देने के लिए अब पेंटर आए थे. मैच के 10वें दिन यानी 14 मार्च को जब मैच शुरु हुआ तो इंग्लैंड को हर हाल में यह मैच उसी दिन खत्म करना था. अगले दिन डरबन से केपटॉउन के लिए उनकी ट्रेन थी. इंग्लैंड को जीत के लिए अभी 200 रनों की दरकार थी.
मौसम का धोखा
लेकिन तभी मौसम ने धोखा देना शुरू किया. वॉली हेमंड मौसम के रूख को भांप चुके थे. इसलिए उन्होंने भी अपना रूख बदलते हुए हाथ खोलना शुरू किया. लेकिन वे रन गति बढ़ाने के चक्कर में स्टंप आउट हो गए. पेंटर भी 75 रन की पारी खेल आउट हो गए. अब क्रीज पर दो नए बल्लेबाज थे जिनके लिए ओवरकॉस्ट कंडीशन में डरबन के पिच पर रन बनाना मुश्किल हो रहा था. इसी बीच बारिश आ गई और मैच रुक गया. इंग्लैंड टीम विश्व रिकॉर्ड चेस से सिर्फ 42 रन दूर थी और उसके पांच विकेट बाकी थे. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. बारिश एक बार आई तो रूकने का नाम ही नहीं ली. टी के समय एक दफा लगा कि मैच फिर से शुरू होगा लेकिन खिलाड़ी मैदान की तरफ बढ़ने ही वाले थे कि बरसात फिर से शुरू हो गई. अब दोनों कप्तानों के लिए मैच को जारी रखना संभव नहीं था. दोनों कप्तानों की आपसी सहमति से मैच को ड्रॉ घोषित कर दिया गया.
इंग्लिश खिलाड़ियों को था जहाज छूट जाने का डर, विश्व युद्ध का भी मंडरा रहा था खतरा
हालांकि दक्षिण अफ्रीकी बोर्ड और प्रबंधन की तरफ से इंग्लैंड के खिलाड़ियों को एक और दिन रूकने का अनुरोध किया गया. उनसे कहा गया कि उनके लिए चार्टर्ड प्लेन की व्यवस्था की जा सकती है, जो उन्हें केपटॉउन पहुंचा दे. इसके अलावा एक और विकल्प उन्हें और दिया गया कि वे क्रीज पर टिके और बाकी बचे बल्लेबाजों को रूकने दे और बाकी लोग अपने शेड्यूल के हिसाब से जाए. लेकिन इंग्लिश टीम प्रबंधन अब उब चुकी थी और वहां रूकना नहीं चाहती थी. इसलिए उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के प्रस्तावों को नामंजूर कर दिया. एक कारण और भी था कि दुनिया द्वितिय विश्व युद्ध के कगार पर खड़ी थी और इंग्लिश खिलाड़ी किसी भी कीमत पर युद्ध शुरू होने से पहले अपने घर पहुंचना चाहते थे. वैसे किसी को भी पता नहीं था कि यह टाइमलेस टेस्ट इतने दिन तक चल जाएगा. इंग्लिश टीम को तो 11 मार्च से वेस्टर्न प्रोविंस के खिलाफ एक प्रथम श्रेणी मैच खेलना था.
टेस्ट ड्रॉ होने के बाद भी बनें कई कई विश्व रिकॉर्ड
इस टेस्ट मैच में कई विश्व रिकॉर्ड बने. कुल 10 दिनों में लगभग 46 घंटे मैच खेला गया. यह सिर्फ टेस्ट इतिहास नहीं बल्कि प्रथम श्रेणी इतिहास का सबसे लंबा मैच था. इस मैच में कुल 5463 गेंदे फेंकी गई और रिकॉर्ड 1981 रन बनाए यह भी एक प्रथम श्रेणी रिकॉर्ड है. टेस्ट क्रिकेट में पहली बार दोनों टीमों ने 900 से अधिक रन बनाए. दक्षिण अफ्रीका ने 1011 तो इंग्लैंड ने 970 रन बनाए. अगर बारिश ना आती तो सबसे लंबे लक्ष्य का भी प्रथम श्रेणी रिकॉर्ड बनता. इस मैच में कुल 11 अर्धशतक बने जो उस समय का टेस्ट रिकॉर्ड था. इस मैच में वॉली हेमंड ने सर डॉन ब्रेडमैन के 21 शतकों के रिकॉर्ड की बराबरी की थी. हालांकि ब्रेडमैन फिर वॉली से आगे हो गए.
एक तेज गेंदबाज के ने फेंके 738 गेंद
इस टाइमलेस और ड्रॉ टेस्ट का बाद में कई खिलाड़ियों ने खासी आलोचना की थी. वॉली हेमंड ने अपने फेयरवेल स्पीच में इस मैच को याद करते हुए कहा था कि ऐसे टाइमलेस टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता के लिए सही नहीं हैं. वहीं टेस्ट क्रिकेट में 738 गेंदे फेंकने वाले एकमात्र तेज गेंदबाज दक्षिण अफ्रीका के नार्मन गॉर्डन ने आईसीसी की उस वक्त आलोचना की थी जब वह ड्रॉ मैचों को खत्म करने के लिए 2001 में फिर से टाइमलेस टेस्ट लाने पर विचार कर रही थी. नार्मन ने तब इस टेस्ट को याद करते हुए कहा था कि मैंने इस मैच में करीब 92 ओवर फेंके थे, जो आज के हिसाब से 120 ओवर बनते हैं. उस समय एक ओवर में 8 गेंदे फेंकी जाती थी. गॉर्डन ने कहा था कि शायद ही कोई तेज गेंदबाज एक मैच में 120 फेंकना चाहेगा. 20-20 के इस क्रिकेटिंग युग में 4 ओवर फेंकने वाले गेंदबाजों को देखकर गॉर्डन की बातें सही ही लगती हैं.
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