नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को पहलवान सुशील कुमार की याचिका को ख़ारिज करते हुए रियो ओलिंपिक के लिए नरसिंह यादव को हरी झंडी दे दी. अब रियो ओलिंपिक में 74 किलो फ्रीस्टाइल वर्ग में नरसिंह यादव भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.
हाईकोर्ट ने कहा की भले ही सुशील कुमार महान रेसलर हो लेकिन रियो ओलम्पिक में नरसिंह यादव को भेजने के भारतीय कुश्ती संघ के फ़ैसले में हमें कोई गलती नजर नहीं आती. कोर्ट ने कहा की सुशील कुमार जब पिछ्ली बार ओलम्पिक में गए थे तो उन्होंने कोई ट्रॉयल नहीं दिया था.
कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा की अगर नरसिंह यादव पिछले साल हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप नहीं जीतते तो हमें रियो ओलंपिक का कोटा भी नहीं मिलता. इसलिए इसको अनदेखा नहीं किया जा सकता.
वही पहलवानों के बीच ट्रॉयल कराने कि सुशील कुमार कि मांग को ख़ारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर इस समय पहलवानों के बीच ट्रॉयल कराया जाता है तो संभव है की कोई पहलवान घायल हो जायेगा और इसका खामियाजा देश को उठाना पड़ेगा.
इस मामले में शुक्रवार को पहलवान सुशील कुमार की याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि राष्ट्रीय खेल संहिता के तहत भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) बाध्य नहीं है कि वह रियो ओलिंपिक में जाने के लिए पहलवानों के बीच ट्रायल कराए.
इतना ही नहीं कोर्ट ने ये भी कहा था कि खेल संहिता में संघ को इस संदर्भ में पूरी तरह से अधिकार दिए गए हैं कि वह किसी खिलाड़ी को प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए चुने. वही केंद्र सरकार की तरफ से याचिका के जवाब में कहा गया कि डब्ल्यूएफआई स्वतंत्र संस्था है. सरकार का कोई दखल नहीं है.
डब्ल्यूएफआई की तरफ से अदालत में कहा गया कि वह पहले ही पहलवान नरसिंह का नाम ओलिंपिक के लिए भेज चुके हैं. इस पर सुशील के वकील ने कहा था कि नाम भेजने की अंतिम तारीख 18 जुलाई है, लेकिन इसके बावजूद जानबूझकर तीन मई को ही संघ ने नरसिंह का नाम भेज दिया. ऐसा करके उन्होंने सुशील की याचिका को ही निष्फल कर दिया है.