पेप्सीको ने फिर थामा BCCI का हाथ, किया 4 साल का कॉन्ट्रैक्ट

आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी को लेकर टूर्नामेंट के टाइटल से हटने के बाद पेप्सीको इंडिया एक बार फिर से बीसीसीआई का ऑफिशियल पार्टनर बनने जा रहा है. पेप्सी ने बीसीसीआई का दामन थामते हुए उसके साथ चार साल का कॉन्ट्रेक्ट करार किया है. इसमें भारत में होने वाले सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच शामिल होंगे.

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पेप्सीको ने फिर थामा BCCI का हाथ, किया 4 साल का कॉन्ट्रैक्ट

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  • March 4, 2016 6:05 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी को लेकर टूर्नामेंट के टाइटल से हटने के बाद पेप्सीको इंडिया एक बार फिर से बीसीसीआई का ऑफिशियल पार्टनर बनने जा रहा है. पेप्सी ने बीसीसीआई का दामन थामते हुए उसके साथ चार साल का कॉन्ट्रेक्ट करार किया है. इसमें भारत में होने वाले सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच शामिल होंगे.
 
इस बात की घोषणा पेप्सीको इंडिया के अध्यक्ष एवं सीईओ डी शिव कुमार और बीसीसीआई के सचिव अनुराग ठाकुर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की. बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर ने कहा कि हमें पेप्सिको को अपने ऑफिशियल पार्टनर के रूप में पाकर बहुत खुशी है. पेप्सीको के साथ हमारी पार्टनरशिप बीते सालों में विकसित हुई है. 
 
BCCI के साथ नए अध्याय की शुरुआत
शिव ने घोषणा करते हुए कहा कि जब हमने आईपीएल का साथ छोड़ा था तो मैंने कहा था कि हम आईपीएल से हट रहे हैं लेकिन बीसीसीआई के साथ बने रहेंगे. हमारा यह 4 साल का करार इस बार फिर बीसीसीआई के साथ है.
 
शिव ने यह भी कहा कि बीसीसीआई के साथ हमारे लंबे साझेदारी में यह एक नए अध्याय की शुरुआत है. भारत में क्रिकेट से हमारा संबंध 25 सालों से अधिक पुराना है. हम उपभोक्ताओं के साथ जुड़कर उनके अनुभवों को अधिक रोमांचक बनाने के लिए उत्साहित हैं.
 
पेप्सी इससे पहले  IPL का था स्पॉन्सर 
इससे पहले पेप्सी ब्रांड इंडियन प्रीमियर लीग का स्पॉन्सर था. लेकिन 2013 के स्पॉट फिक्सिंग मामले के कारण कंपनी 2015 में हट गई. 2015 में पेप्सी ने आईपीएल से अलग होने की वजह स्पॉट फिक्सिंग विवाद के कारण टूर्नामेंट की खराब होती इमेज को बताया था. बता दें कि 2013 से 2017 के बीच इस टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए पेप्सिको ने 396 करोड़ रुपए की मोटी रकम चुकाई थी.
 
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कंपनी ने नोटिस में कहा था कि इस फैसले की वजह वे मुद्दे हैं जिसकी वजह से खेल की ‘बदनामी’ हुई. अक्टूबर, 2015 में वीवो मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी आईपीएल की नई स्पॉन्सर बनी थी.

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