‘लूटे रंग सारे… मेरी ओढ़नी के, पिया तो तिरंगे का कफन लेकर लौटे’

15 अगस्‍त को हमारा देश अपनी आजादी के 70 वर्ष पूर्ण किए. इसी दिन भारत ने आधी रात को अंग्रेजी हुकूमत कि नींव उखाड़कर स्वतंत्रता प्राप्‍त की थी. 15 अगस्त 1947 की सुबह आसमान खिला हुआ था और उससे ज्यादा खिली हुई थी

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‘लूटे रंग सारे… मेरी ओढ़नी के, पिया तो तिरंगे का कफन लेकर लौटे’

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  • August 15, 2017 5:33 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: 15 अगस्‍त को हमारा देश अपनी आजादी के 70 वर्ष पूर्ण किए. इसी दिन भारत ने आधी रात को अंग्रेजी हुकूमत कि नींव उखाड़कर स्वतंत्रता प्राप्‍त की थी. 15 अगस्त 1947 की सुबह आसमान खिला हुआ था और उससे ज्यादा खिली हुई थी लाखों हिंदुस्तानियों की खुशी. कुछ आंसूओं डूबी और मुस्‍कानों में खिली हुई. 
 
इंडिया न्यूज ने इस मौके को खास बनाने के लिए कवि सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें कई कवियों ने भाग लिया. इनमें चेतना पांडे गोरखपुर से, कवि श्याम सुंदर अकिंचन मथुरा से, कवि अब्दुल गफ्फार जयपुर से, कवि रमाशंकर पांडे मथुरा से, कवि अजय शुक्ल अंजाम औरेया से, आलम सुल्तानपुरी कानपुर से, कविता तिवारी लखनऊ से और कवि अखिल श्रीवास्तव ने भाग लिया. 
 
राग देश कार्यक्रम में चेतना पांडे ने एक कविता गाई, जिसके अंश हैं – लूटे रंग सारे… मेरी ओढ़नी के, पिया तो तिरंगे का कफन लेकर लौटे.
अजय शुक्ल अंजाम ने कविता गाई – अमर शहीदों के चरणों की रच का तिलक लगाता हूं, अब तक जिसको नहीं गा सका गीत अब वही गाता हूं, चिंगारी जो मन में अब तक थी उसको सुलगाता हूं. अब तक शीतल जल गाता था लो अब आज सुनाता हूं.
 
(वीडियो में देखें पूरा शो)

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