हिंदुस्तान में बाढ़ से भारी तबाही, पश्चिम बंगाल में जल’दैत्य’ ने 39 लोगों को निगला

हिंदुस्तान में बाढ़ से भारी तबाही मची है, आधे से ज्यादा देश बारिश और बाढ़ की चपेट में है . बाढ़ से सबसे ज्यादा तबाही गुजरात में मची है. जहां मरने वालों की संख्या 226 तक पहुंच चुकी है. आज पीएम मोदी ने बाढ़ से बेहाल असम में हाईलेवल मीटिंग की है.

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हिंदुस्तान में बाढ़ से भारी तबाही, पश्चिम बंगाल में जल’दैत्य’ ने 39 लोगों को निगला

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  • August 1, 2017 3:57 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: हिंदुस्तान में बाढ़ से भारी तबाही मची है, आधे से ज्यादा देश बारिश और बाढ़ की चपेट में है . बाढ़ से सबसे ज्यादा तबाही गुजरात में मची है. जहां मरने वालों की संख्या 226 तक पहुंच चुकी है. आज पीएम मोदी ने बाढ़ से बेहाल असम में हाईलेवल मीटिंग की है.
 
मुसीबत की बाढ़ में घिरे राज्यों का जायजा लिया और 2350 करोड़ के राहत पैकेज का एलान किया. पहाड़ों की गोद में छोटी-बड़ी सभी नदियां उफान पर हैं. पहाड़ों के मलबे के साथ नदी प्रचंड रूप अख्तियार कर चुकी है.
 
पानी की प्रचंड लहरें जहां से गुजरती हैं. वहां तबाही बहने लगती है. मूसलाधार बारिश और लैंडस्लाइड की वजह से यहां पहाड़ों से मलबा और पत्थर जहां तहां गिरे हैं. लेकिन बरसात के मौसम में नदियों की लहर इन्हें चीरती आगे बढ़ती जा रही हैं.
 
ये तस्वीर गंगोत्री ग्लेशियर के निचले हिस्से की है. यहां मलबे से ग्लेशियर को खासा नुकसान हुआ है .भारी बारिश के चलते पहाड़ों से मलबा गिरा और गंगा के उदगम स्थल को भारी नुकसान हुआ. तपोवन से निकलने वाली आकाश गंगा नदी में उफान आया और पहाड़ों का मलबा भागीरथी नदी में जमा हो गया है.
 
जिसके चलते गंगा नदी की धारा अपनी जगह से 150 मीटर दाहिनी तरफ खिसक गई. गोमुख के पास तपोवन जाने वाला रास्ता बंद है. गंगोत्री से गौमुख के बीच रास्ते कई जगह टूट गए और बरसाती नालों पर बनी तीन पुलिया भी बह गई. पहाड़ों पर लगातार बारिश के चलते हरिद्वार में गंगा नदी खतरे का अलार्म बजा रही है.
 
भीमगौड़ा बैराज पर गंगा खतरे के निशान से महज़ एक मीटर नीचे बह रही है. जिसकी वजह से सभी बाढ़ चौकियों और गंगा किनारे बसे लोगों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं. बदरीनाथ हाईवे पर बलदोड़ा और लामबगड़ में लैंडस्लाइड हुई. लामबगड़ में हाईवे 30 जुलाई की शाम से ही बंद पड़ा है. ऐसे में बदरीनाथ जाने औप वापस आने वाले यात्री भूस्खलन वाले इलाके से पैदल ही आगे बढ़ रहे हैं.

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