नई दिल्ली: कचहरी के कैंपस को अमूमन सुरक्षित माना जाता है. लेकिन देश की महिलाएं, बेटियां, लड़कियां अगर यहां भी सुरक्षित नहीं तो कहां होगी. हजारों की भीड़ में सुरक्षित नहीं होगी तो कहां होगी.
ये सवाल पूरे सिस्टम से है और जब बेटियां, लड़कियां, महिलाएं सुरक्षित नहीं होगी तो वो कानून का मखौल नहीं बनाएंगी तो क्या करेंगी. लेकिन ये एक पक्ष है. एक दूसरा पक्ष भी है. जब पूरा गांव नैतिकता का सिपाही बन जाता है, पुलिस तमाशबीन और औरत खिलौना तब वाकई सिर शर्म से झुक जाता है.
ज़िंदगी ज़रूरी है में आज सबसे पहले हम आपके सामने ऐसी दो तस्वीरें पेश करने जा रहे हैं जिन्हें देखने के बाद यक़ीन नहीं होता कि हम इक्कीसवीं सदी के भारत में जी रहे हैं. पहले एक महिला के बाल काटे गए फिर गले में जूते और चप्पलों की माला पहनाई गई.
इतने से मन नहीं भरा तो कालिख और चूना लगाया गया. उसके चेहरे को बदरंग किया गया. फिर रस्सी से बांधा गया और फिर एक दो नहीं पूरा समा खड़ा हो गया और बेतरतीब पिटाई करने लगा. लेकिन ऐसा हुआ क्यों ? ये बताने से पहले एक दूसरी तस्वीर देखिए ये किसी दूसरे शहर की है.
यह वीडियो एक कोर्ट परिसर की है. यहां कुछ महिलाएं मिलकर एक युवक की बेतरतीब पिटाई कर रही हैं . यहां गले में चपप्लों की माला नहीं हाथ में चप्पल हथियार बना हुआ है. अब दोनों तस्वीरों को एक साथ आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर रख दिए हैं. ताकि कहानी समझने में आपको आसान हो.
पहली तस्वीर में महिला को सजा दी गई है दूसरी तस्वीर में महिलाओं ने सजा दी है. यह कहानी दो है लेकिन इसमें छोटी सी समानता है. वो क्या है ? उसकी चर्चा से पहले पहली कहानी को समझिए.