नई दिल्ली: सावन के इस खास मौके पर आज हम उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के कुछ ऐसे रहस्य आपके सामने रखने जा रहे हैं. जो पिछले कई साल से अनसुलझे हैं. ये सच दिखाने से पहले हम एक बात साफ कर देना चाहते हैं कि हमारा मकसद किसी अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है.
हम वो सबकुछ दिखाने जा रहे हैं. जिसे आप यहां जाकर देखते तो हैं. लेकिन वो आपको सही मायने में नज़र नहीं आता. महाकाल मंदिर का एक-एक कोना और कई रहस्य समेटे हुए हैं.
हम उन तमाम रहस्यों को एक-एक करके आपके सामने रखेंगे और उनका सच क्या है, वो भी बताएंगे.लेकिन पहले इस भस्मआरती को देखिए और महसूस कीजिए. क्योंकि कहते हैं कि इस भस्मआरती के सामने कुछ देर बैठने से या इसे देखने से जो अनुभूति होती है.
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है.महाकालेश्वर मंदिर का मुख्य मंदिर तीन हिस्से में है. ऊपरी हिस्से में नाग चंद्रेश्वर मंदिर है इसके नीचे ओंकारेश्वर मंदिर और सबसे नीचे महाकाल मुख्य ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं.
नाग चंद्रेश्वर मंदिर उज्जैन के महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर है. इसकी खास बात यह है कि ये मंदिर साल में सिर्फ एक दिन 24 घंटे के लिए खुलता है और वो दिन होता है नागपंचमी का है.
नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है, इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं. कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी. उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है. पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं.लेकिन सबसे बड़ा रहस्य है ओंकारेश्वर मंदिर. जिसका गर्भगृह बंद है.