नई दिल्ली: सिक्किम बॉर्डर से भारत-चीन के तनाव की जो तस्वीरें आ रही हैं वो चिंताजनक हैं. चीन और चीन की मीडिया आग में घी डालने का काम कर रही है जबकि भारत बार बार कह रहा है कि वो सिर्फ़ अपनी सीमाओं की रक्षा कर रहा है और समझौते के तहत भूटान के साथ खड़ा है. लेकिन चीन जो कर रहा है वो नया नहीं है.
तिब्बत में चीन ने पहले 35 टन वजन वाले शिंकिंगटैन टैंक उतारे और फिर 96 बी टैंक के साथ मिलिट्री एक्सरसाइज कर डाली. चीन अपने दोहरे दांव से हिंदुस्तान को डराना चाहता है. पहले टी-35 टैंक और फिर बी-96 टैंक. तिब्बत में एक के बाद एक दो बार अपने टैंक उतार कर चीन ने अपनी मंशा साफ कर दी है.
एक तरफ तो वो सिक्किम पर सीनाजोरी दिखा रहा है और दूसरी ओर तिब्बत में अपनी ताकत दिखा रहा है. जाहिर है वो भारत को भड़काने की कोशिश कर रहा है ताकि कोई भी चूक हो और उसे विवाद बढ़ाने का बहाना मिल जाए. 96-बी टैंक को चीन का सबसे एडवांस बैटल टैंक माना जाता है इसलिए तिब्बत में करीब 5,100 मीटर की ऊंचाई पर इन टैंकों की तैनाती से कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं.
चीन के पास कुल 6,457 टैंक हैं जबकि भारत के पास 4,426 टैंक हैं यानी चीन के पास भारत के मुकाबले डेढ़ गुना ज्यादा बैटल टैंक हैं तो फिर सवाल है कि चीन इन ताकतवर टैंकों का भारत के पास क्या जवाब है. ये टी-90 टैंक हैं जिन्हें भीष्म टैंक भी कहते हैं.
इसका भीषण प्रहार किसी भी दुश्मन का दिल दहलाने के लिए काफी है. भीष्म को चीन के बी-96 टैंकों का जवाब माना जाता है. अगर चीन के पास दुनिया के बेहतरीन बैटल टैंक हैं तो भारत के पास भी शक्तिशाली टैंकों का जखीरा मौजूद है. खास कर टी-90 को चीनी टैंकों का कारगर जवाब माना जाता है.
इसकी मारक क्षमता अचूक है और इसे आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है. फायर कंट्रोल सिस्टम और मोबिलिटी के मामले में टी-90 को दुनिया के सबसे बेहतर टैंकों में गिना जाता है. T-90 टैंक के वार से 5 किलोमीटर की रेंज में कोई दुश्मन नहीं बच सकता. 3 जवानों की क्षमता वाले भीष्म टैंक का वजन करीब 48,000 किलोग्राम है. इसमें एक बार में 1,600 लीटर ईंधन भरा जा सकता है.
सिक्किम के जिस डोकलाम इलाके पर चीन कब्ज़ा जमाने की कोशिश कर रहा है, वहां ऐसी ही कोशिश वो पचास साल पहले भी कर चुका है और भारत के हाथों पिट भी चुका है लेकिन न तो चीन की हथियाने की कोशिशें करने की आदत गई है और न धोखा देने की.
करीब पचास साल पहले जब चीन ने डोकलाम में अवैध दखल देने की कोशिश की तो हमारे जांबाज जवानों ने उन्हें बुरी तरह पस्त कर दिया था. उस लड़ाई में भारत के मुकाबले चीन को करारा नुकसान उठाना पड़ा था.
14 सितंबर 1967 की तारीख भला चीन कैसे भूल सकता है. यही वो तारीख है जब डोकलाम में चीन को भारत से करारी शिकस्त मिली थी. दरअसल 62 की लड़ाई में धोखे से मिली जीत के बाद चीन का हौसला इतना बढ़ गया था कि उसने 1967 में भारत-चीन और भूटान के बीच आने वाले चोला इलाके को भी हड़पने की कोशिश की.
इसकी शुरुआत अगस्त 1967 में हुई जब चीनी सैनिक भारत की सीमा में घुसकर खुदाई करने लगे. जबाव में भारतीय सेना ने बाड़बंदी शुरू की तो 11 सिंतबर को चीनी सेना ने गोलीबारी और गोले बरसाना शुरू कर दिया. शुरुआती झटके के बाद भारतीय फौज ने काउंटर अटैक किया और चीनी सैनिकों को खदेड़ कर ही दम लिया.
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